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“हिन्द स्वराज”
भारतीय संस्कार समितत
हिन्द स्वराज
१९०९ में लंदन से दक्षिण अफ्रीका जा
रिी स्टीमर में एक प्रवासी ने गुजराती
में एक पुस्स्तका ललखी उसका नाम ा ा
“हिन्द स्वराज”
वो व्यस्तत ा े
मोिनदास करमचंद गांधी
स्वराज तया
िै ?
अंग्रेजो को देश से
ननकाल देना वो िै
स्वराज ?
अंग्रेजो को िम तयों
ननकाल देना चािते िै
?
तयोंकी
उनके राजभार से देश
कं गाल िोता जा रिा िै |
तयोंकी
वो िर साल िमारे देश में
से पैसे लेकर जाते िै |
तयोंकी
वो उनके लोगो को उच्च
पद देते िै |
िमारी तरफ उध्धध्धताई से
वततन करते िै |
िमें लसफत गुलामी में रखते िै |
वो लोग पैसे न ले जाये, िमें िोद्दे
दे, नम्र बने तो उनको यिााँ रिने मे
तया हदतकत िे ?
जो िम िी िमारे देश के पैसे बिार भेज के उन्िें
िोद्दे न दे और उनके प्रनत नम्र न बने तो अंग्रेजो
ना िो तो उसे स्वराज किेंगे ?
पार्लिेंट बांज और वैश्या िै
बांज इसललए की पालतमेंट ने अब
तक एक भी अच्छा काम निीं
ककया िै
वैश्या इसीललए की जोभी
प्रधान मंडल रखता िै
इसके पास रिती िै
पालतमेंट के मेंबर स्वाा ी और आडम्बर
वाले िै |
पालतमेंट ने एक भी वस्तु हिकाने लगाईं िो
ऐसा एक भी दाखखला निीं िै |
इम्पोटेन्ट बात चल रिी िो तब वो सो रिे िोते
िै |
पालतमेंट में मेंबर बूमा बूम करते रिेते
िै |
उनके पि को बबना सोचे समजे िी वोट दे
देते िै
अगर इतना समय और पैसा यहद अच्छे
इंसानों को हदया िोता तो प्रजा का
उद्धार िो जाता
पालतमेंट वो प्रजा का खखलौना िै, और वो
प्रजा को बिोत खचत में डालता िै |
पालतमेंट धलमतस्ट इंसानों के लायक निीं िै
पालतमेंट का कोई माललक िै िी
निीं और िो भी निीं सकता
कोई मुख्या प्रधान पालतमेंट सिी करे
उसके बदले उसका पि कै से जीते
ऐसे काम करवाते िै, ऐसे दाखखले
लमले िै |
ये सब सोचने लायक िै ?
मुझे कोई प्रधानो से ध्धवेशभाव निीं
िै, लेककन शुध्धधभाव और प्रमाखणक
भाव उनमे निीं िै वो में हिम्मत से
कि सकता िूाँ |
अगर हिंदुस्तान अग्रेजो की
नक़ल करे तो हिंदुस्तान
पायमाल िो जायेगा ऐसा मेरा
मत िै |
इसमें अंग्रेजो का दोष निीं िै पर
उनके और यूरोप के ववकास का दोष
िै |
सुधारा कु धारा िै |
ननंद्रा में मनुष्य को जो स्वप्न दीखता िै
उसे वो सच्चा िी मान लेता िै पर जैसे
िी नींद चली जाती िै तब पता चलता िै
ऐसी िी दशा सुधारवश इंसान की िै |
बिोत िुलशयार और भले इंसान इसमें पड़े िै,
उनके दीखावे से िम अन्धे िो जाते िै और
ऐसे करके एक के बाद एक उसमे फं स जाते
िै
मनुष्य बािर की शोध को और
शरीर सुख को साा तक और
पुरुषाा त मानता िै
सुधार
१०० साल पिले यूरोप में लोग स्जस मकान में
रिते ा े अभी इससे अच्छे मकान में रिते िै ये
ववकास(सुधार) की ननशानी िै पर इसमें शरीर सुख
की िी बात िै
सुधार
पिेले इंसान चमड़े का वस्र
पिेनता ा ा और भाले का
उपयोग भी करता ा ा
सु धा र
अभी यूरोप के वस्र पिेनते िै, और भाले
की जगि पांच घाव करे ऐसे बन्दुक का
उपयोग करते िै, ये सुधारे की ननशानी िै
तया ?
सुधार
कोई देश के लोग जोड़े { बूट या चम्पल }
पिेंनते िो और यूरोप के वस्र को पिेनने लगे
तो वो जंगली दशा में से सुधारवाली दशा में
आया किेलायेंगे ?
सुधार
पिेले इंसान िल से खेती करता
ा ा अभी वरालयंर से करके
ज्यादा जमीन खेड के ज्यादा
पेसा बना लेता िे यिी
सुधार(ववकास) की ननशानी िै
सुधार
पिले इन्सान बेलगाडी से एक हदन में
बारि गउ दूर जा सकता ा ा अभी रेल
से चारसो गउ की दुरी तक जा सकता ि
इसको सुधार की सबसे ऊाँ ची ननशानी
मानते िै
सुधार
पिले इन्सान लड़ने के ललए खुद के शरीर
का इस्तमाल करते ा े अभी तोप से िजारो
की जान ली जा सकती िै यिी सुधार की
ननशानी िै
सुधार
इन्सान को पेसे और भोग की र्ार्च
दे के गुर्ाि बनाया जाता िै
सुधार
इंसानों िें जो बबिाररया नि ं थी वो बढ़ गई
और डॉक्टसल इन को मिटाने की खोज िें र्ग
गये इसीसे िॉस्स्पटर् बढ़ गए इसको सुधार
की तनशानी किते िै
सुधार
इस सुधार में नननत और
धमत की बात िै िी निीं
सुधार
उपर की बातो में नननत की बात
निीं िो सकती ये तो बच्चा भी
जानता िै
सुधार
शरीर सुख के ललए िी सुधार(ववकास)
मिेनत करता िै कफर भी सुख निीं
लमलता
सुधार
ये सुधार िी अधमत
िै
सुधार
ये सुधार यूरोप में इतनी िद
तक फे ल चूका िै की लोग
पागल जैसे हदखने लगे िै
सुधार
इन्सान शांनत से बेि िी निीं पाता
स्स्रयााँ जो घर की रानी िोती िै उन्िें
घरसे बिार काम (मजूरी) पे जाना
पड़ता िै
सुधार
इंग्लेंड में ४० लाख महिलाए
मजूरी कर रिी िै
सुधार
ये सुधार नाशकारक और
नाशवंत िै इसीसे दूर रिना
चाहिए
सुधार
इसी कारन इंग्लेंड की और बाकक सभी
पालतमेंट कु छ भी काम की निीं िै ये पालतमेंट
िी गुलामी की ननशानी िै
सुधार
हिंदुस्तान कै से गया ?
हिंदुस्तान अंग्रेजो ने ललया निीं
िम ने हदया िै
अपने देश िें वो र्ोग व्यापार
करने के मर्ए आये थे
कं पनी के र्ोगो को िदद ककसने की
उनका रूप देख के कोन िोि िें डूब जाता था
उनका िॉर् कोन बेच देता था
पेसे बिोत जल्द मिर्ाने की
र्ार्च से िि ने उनका स्वीकार
कर मर्या
अंग्रेज वेपार को ििने उत्तेजन
हदया तभी वो घुस गए
इसमें उनलोगों को नननत अनीनत से
कोई मतलब निीं ा ा वेपार बढ़ाना
और पेसा कमाना यिी उनका काम
ा ा
उन्िोंने हिंदुस्तान को तलवार
से ललया और रखा िै ऐसा किी
लोग किते िै वो गलत िै
नेपोमर्यन ने किा था की
अंग्रेज प्रजा व्यापार िै वि
सि बात िै
अंग्रेज खुद के िॉर् के मर्ए
पूर दुतनया को बाजार बनाना
चािते िै
वो उनकी ििेनत िें कु छ भी
किी नि ं रखते
हिंदुस्तान क्यों
रांक(गर ब)िै
इसी ववषय पे िें िेरे ख्यार्
रखूूँगा तो आप को िुज पे
ततरस्कार आयेगा
हिंदुस्तान को रेर्,डॉक्टर और
वकीर् ने कं गार् बनाया
यहद िि सिय पे नि ं जगे तो
चारो और की सिस्याओ से घेरे
जायेंगे
दि का रोगी बािरसे तो अच्छा द खता िै र्ेककन अंदरसे
वो िृत्यु के सिीप पिोंच गया िोता िै
सुधार(ववकास) को ऐसा ि
अद्रश्य रोग ि सिजो
यहद रेर् ना िोती तो अंग्रेजो का
काबू स्जतना हिंदुस्तान पे िै उतना
ना िोता
ज्यादातर रोग रेर् से ि फै र्े िे रेर्
ना िोती तो चेवपरोग पुरे हिंदुस्तान िे
ना फ़ै र्ते
रेर् से अकार् बढे िै
रेर् के कारन जिा ििूँगाई िोती िै वि र्ोग अपना
अनाज बेच देते िै और र्ोग बेजवाबदार बनते िै
इसीसे अकार् का दुुःख बढ़ा िै
रेर् से दुष्टता बढ़ िै
दुष्ट र्ोग अपनी दुष्टता को
जल्द फै र्ा सकते िै
हिंदुस्तान िें जो पववत्र
स्थान थे वो अवपववत्र िो गए
रेर् सदा ि दुष्टता ि
फै र्ाएगी ऐसा जानर्ेना
चाहिए
इन्सान को इसतरि पैदा ककया िै
की उसे इसीके िाथपैर से स्जतना िो
सके इंतना आवाह्गिन करना
चाहिए
रेल और इसके जैसे साधनों से िम
भागदौड़ ना करे तो पेचीदे सवाल
आयेगे िी निीं
इन्सान की िद खुदा ने उसीके
शर र से ि बाूँध द िै
इन्सान को अक्कर् खुदा को
जानने के मर्ए ि द थी र्ेककन
वो इसीका इस्तिार् खुदा को
भुर्ाने िे ि करता िै
िुझे िेर प्राकृ ततक िद के अनुसार िेरे
आसपास के र्ोगो की ि सेवा करनी चाहिए
र्ेककन िेने िेरे अिि् से सोच मर्या की
इसी शर र से पूर दुतनया की सेवा करूूँ गा
रेर् बडा ि तूफानी साधन िै
इन्सान इसीका इस्तिार् करके
खुदा को भूर्ता िै
हिंदुस्तान की दशा
हिंदुस्तान की अभी बिोत ि
दुदलशा िै वो किेते ि िेर आूँखों
िें पानी भर आता िै और गर्ा
सुक ने र्गता िै
हिंदुस्तान अंग्रेजो से नि ं पर
आजकर् के सुधार(ववकास) तनचे
कु चर् गया िै
हिंदुस्तान धिलभ्रष्ट िो
चर्ा िै
िि इश्वर से वविुख िोते
जा रिे िै
हिन्दू,िुस्स्र्ि,पारसी,ख्रिस्ती सभी धिल
दुतनया की चीजो के प्रतत िंद और धामिलक
चीजो के प्रतत उत्साि रिने का मसखाते िै
दुतनया के र्ोभो की िद
बांधनी िै
धिल के र्ोभ को बढाए रखना और
अपना उत्साि उसीिे ि रखना
धामिलक ठग दुतनयाई ठग
से अच्छे ि िै
पाखंड धिल िें कभी देखा
ि नि ं
ये सुधार ििको चूिे की तरि
फु क फु क के खा रिा िै
िेरा ित ऐसा िै की
वकीर् ने हिंदुस्तान को
गुर्ािी हदर्वाई िै
वकीर् इन्सान िै तो इन्सानो िें
कु छ अच्छा िोता ि िै र्ेककन वो
र्ोग भूर् जाते िै की उनका धंधा
उनको अनीतत मसखा रिा िै
वकीर् र्ोग जब र्ड़ाई जगडे िोते
िै तो खुश िोते िै
जिा नि ं िोती विा र्ड़ाइया
खडी करते िै
बबनाकाि के और आर्सी र्ोग
ऐसोआराि भोगने के मर्ए ि
वकीर् िोते िै
बिोत रजवाड़े वकीर् की जार् िें
फं स के कजलदार िो गये
अगर अंग्रेजी अदार्ते नािोती तो
अंग्रेज यिाूँ राज कर सकते?
जब आदिी खुद ि अपने िाथो से और
सबंधीओ के पंच बनके र्ड र्ेता वो
िदल था
जब से अदार्ते आई
िि नािदल बनने र्गे
अंग्रेजो ने अदार्तों से ििारे
पर दबाव बनामर्या िै
यहद अंग्रेज ि मसपाई और वि वकीर्
िोते तो वो िि पर कभी राज नि ं कर
सकते
अंग्रेजी राज की पिर् चाबी अदार्ते
अदार्तों की चाबी वकीर्
यहद वककर्े वककर्ात करना छोड़ दे तो
अंग्रेजी राज एक ि हदन िें ख़त्ि िो
जाएगा
िि सब कोटल की
िछमर्या िै
जो र्ब्स वकीर् के मर्ए िै वि
जजों के मर्ए भी िै दोनो िौसी के
र्डके भाई ि िै
अंग्रेजो ने डॉक्टर ववध्या से भी
ििपे काबू रखा िै
डॉक्टर से तो ऊं टवैद भर्े िै
ऐसा किने की इच्छा िोती िै
इस्स्पतार्े ि पाप का िूर् िै
इस्स्पतर् के कारन ि इन्सान
शर र को अनदेखा करता िै और
अनीतत करता िै
यूरोप के डॉक्टर िद से बिार जा रिे
िै वो मसफल शर र के खाततर िर सार्
र्ाखो जीवो को िार रिे िै
स्जन्दे जीव पर प्रयोग करना
ककसीभी धिल को कु बूर् नि ं
िै
इन्सान के शर र के मर्ए
इतने जीवो को िारने की
जरुरत नि ं िै
डॉक्टर र्ोग ििें धिलभ्रष्ट
कर रिे िै
बिोत सार दवाईयों िें चबी
और दारु िोता िै
िि नािदल बनाने र्गे िै
अंग्रेजी या यूरोपीय डॉक्टर
मसखाना वो मसफल अपनी गुर्ािी
िजबूत करना ि िै
इज्जत और आबरुदार तर के से
पेसा किाने की खाततर ि िि
डॉक्टर िो रिे िै
इस धंधे िें परोपकार नि िै
डॉक्टर र्ोग बड़े बड़े हदखावे से
बड़ी बड़ी फी र्े र्ेते िै
अच्छे िोने के ववस्वास िें र्ोग
ठगे जा रिे िै
अच्छा हदखावा करने वार्े
डॉक्टर से ठगवैद अच्छे िै
सच्चा सुधार
आपने रेर्,वकीर्,डॉक्टर
और संचा काि को नुकशान कारक
गगनाया तो सच्चा सुधार क्या िै?
वाचक
जो सुधार हिंदुस्तान ने हदखाया िै
दुतनया िे उस तक कोई नि ं पिोंच
सकता
जो बबज अपने बुजुगो ने बोये िै
उसकी बरोबर कोइ कर सके ऐसा
देखा नि ं िै
इतना गगरा िुआ हिंदुस्तान भी
अभी तनचे से िजबूत िै
हिन्द अचर् िै वि उसका
आभूषण िै
हिन्द पर आरोप िै की वो जंगर्
और अज्ञानी िै इसके पास से कोइ
फे रफार नि ं करवाया जा सकता
ये आरोप अपना दोष
नि ं र्ेककन गुण िै
अनुभव के बाद ििें जो ठीक
र्गा इसे िि क्यों बदर्े?
बिोत र्ोग अक्कर् देने वार्े
आते जाते रिेंगे र्ेककन िि
डटे रिेंगे वि ििार खूबी िै
सच्चा सुधार ििारा
वतलन िै
इन्सान इसका फजल
अदा करे और तनतत
का पार्न करे
तनतत का पार्न करना यातन
अपने िन और इस्न्द्रयों को वश
िें रखना
ऐसा करते करते िि खुद
को पिचान सके
यि सुधार िै इसके ववरुद्ध
जोभी िै वो सुधार नि ं िै
बिोत अंग्रेज र्ेखक मर्ख गए िे की
हिंदुस्तान को कु छ भी मसखाने के मर्ये
बचा नि ं िै
इन्सान की वृतीय चंचर् िै
उसका िन यिाूँ विा घूिता िै
शर र को स्जतना दोगे वो ज्यादा िागेगा
ज्यादा र्ेके भी अभी तक
कोई सुखी नि ं िुआ
भोग भोगने से भोग की
इच्छाए और भी बढती िै
इसीमर्ए भोग के मर्ए ििारे
पूवलजो ने िद बाूँधी थी
सुख और दुुःख िन के
कारन िै
तवंगर इस की तवंगर से सुखी
नि ं िै और गर ब इसकी गर बी से
दुखी नि ं िै
िजारो सार्ो से चर् आ रि
ििने जोंपड़ी,िर्,मशक्षा ििने
इसीमर्ए कायि रखी िै
ििने नाशकारक
िररफाई(िुकाबर्ा)नि ं
रखी
ििारे र्ोगो को यंत्रो की खोज
करना नि ं आता ऐसा नि ं
था
र्ेककन ििारे पूवलज जानते थे की
इसी से इन्सान गुर्ाि बन
जायेगा
इसी के कारन इन्सान
तनतत का त्याग करेगा
िाथ और पैरो के इस्तिार्
िें ि सच्चा सुख िै
इसी से तंदुरस्ती बनती िै
अपने पूवलजो ने सोचा की बड़े
शिर बनाना ि फ़ोकट की
भेजािार िै
शिर िें र्ोग सुखसे नि ं रि
पाएंगे
गर ब र्ोगो को आमिर र्ूटेंगे
इसी मर्ए ििारे पूवलजो ने छोटे
गाूँवो िें ि संतोष रखा
राजा और इसकी तर्वार से तनतत
बर् ज्यादा बर्वान िै
इसी मर्ए राजाओ की गगनती
नीततवान पुरुषो,फकीरों और
रूशीिुतनओ से नीची कक्षा िें गगनी
थी
ऐसा स्जस प्रजा का बंधारण िो वो
प्रजा दुसरो को मसखाने योग्य िै मसख
ने योग्य नि ं
ििार प्रजाके पास वकीर्,डॉक्टर,अदार्ते
सब था र्ेककन सभी तनयिे ि चर्ते थे
वकीर् और डॉक्टर र्ोगो िें र्ूंट
नि ं चर्ाते थे
वे र्ोगो के उपर िोकर नि ं रिते थे
उस सिय प्रजा अपने खेत की
खुद िामर्की भोगती थी वि
सच्चा स्वराज था
जिा तक ये सुधार पिोंचा नि ं
विा अभी भी हिंदुस्तान िै
ऐसा हिंदुस्तान जिा भी िै विा जोभी
बदर्ाव र्े इसे इन्सान को राक्षस
सिजना
हिन्द के सुधार की बात तनतत को
द्रढ़ करने की िै
पस्श्चि के सुधार की बात
अनीतत की तरफ िै
पस्श्चि का सुधार तनर श्वर वाद
िै
हिन्द का सुधर सेश्वर
वाद िै
हिन्द का हित चािने वार्े र्ोगो को
जैसे बच्चा िाूँ को र्गा रिे एसे ि
हिन्द के अपने सुधर पर ि र्गे
रिना चाहिए
हिन्द कै से छू टे?
स्जस कारन से वो गुर्ािी िें
आया इसी को दूर करने से ि वो
गुर्ािी से िुक्त िोगा
ििने इनके सुधार को अपनाया
इसी मर्ए वो यि रिते िै
स्जन्िोंने पस्श्चि की मशक्षा पाई वि
र्ोग इसिें बंधे और गुर्ािी से घेरे
गए िै
िि अपने खुद पे अपना राज भोगते िै
इसी को स्वराज किते िै
हिंदुस्तान का बर् अिाप िै
सत्याग्रि = आत्िबर्
“दया धरि को िूर् िै , देि
िूर् अमभिान ;
तुर्सी दया न छोडीए , जब
र्ग घट िें प्राण “
संत कवव तुर्सीदास
दयाबर् ि आत्िबर् िै,वि
सत्याग्रि िै
“स्जस प्रजा की हिस्र नि ं
वि सुखी िै”
गोर र्ोगो िें एक किावत िे
दुतनया का बंधारण िगथयार
बर् पर नि ं िै
दुतनया कई र्ड़ाई ओ के
बाद भी टकी िुई िै
र्ाखो र्ोग प्रेिवश रिते िै
और खुद का जीवन गुजारते
िै
बिोत सी प्रजा मिर्जुर्कर
रि िुई िै
ये हिस्र िें नि ं मर्खा जाता
जो काि िुझे पसंद नि ं िो इसे नि ं
करने के मर्ए िें सत्याग्रि और
आत्िबर् का प्रयोग करता िु
इसी तरि कानून के मर्ए सरकार जब
ििारे ववरुध्ध का कानून बनाती िै तो
िें आत्िबर् और सत्याग्रि के प्रयोग से
इसे कबुर् नि ं करता
सत्याग्रि िें िे खुदका भोग
देता िु
खुद का भोग देना वि दुसरो के
भोग से अच्छा िै
कानून ििें पसंद ना िो और कफरभी
इसीके िुताबबक चर्ाना ये िदालई
और धिल के ववरुध्ध िै और यि
गुर्ािी की िद िै
सरकार तो किेगी की नंगे िोकर
नाचो तो क्या िि नाचेंगे?
र्ोग एकबार मसख र्े की जो कानून
ििें अन्याई र्गे इसे िानना नािदी
िै
वि स्वराज की चाबी िै
अन्याई कानून को भी िानना यि
गर्तफे िी जब तक दूर नि ं िोगी ििार
गुर्ािी जाने वार् नि ं िै
जो नािदी िै वि इन्सान
सत्याग्रि नि ं िो सकता
आपके िन हिंदुस्तान के राजा ि
हिंदुस्तान िै र्ेककन िेरे िन तो करोडो
ककसान हिंदुस्तान िै
जब राजा जुल्ि करता िै तब
प्रजा नाखुश िो जाती िै वि
सत्याग्रि िै
जिा िनका बर् नि ं विा
आत्िबर् किासे आएगा
स्जसे भी देशहित के मर्ए सत्याग्रि
बनाना िो इसे ब्रििचयल का पार्न
करना चाहिए
एसे इन्सान को गर बी धारण करना
सत्य का सेवन करना और अभयता
प्राप्त करनी चाहिए
ब्रििचयल ििाव्रत िै
बबना ब्रििचयल का इन्सान नािदल
बन जाता िै
स्जस का िन ववषयभोग िें िे
इसीसे कु छ काि िोने वार्ा
नि ं िै
जो गृिस्थी िो इसे प्रजाकी
उत्पतत के मर्ए स्वस्त्री का संग
कर इसी तरि गृिस्थी िोकर भी
ब्रििचयल का पार्न कर सकता िै
पेसे का र्ोभ और सत्याग्रि का
सेवन दोनों साथ िें नि ं िो
सकता
सत्याग्रि के सेवन से यहद पेसा
चर्ा जाये तो बेकफक्र रिना
जो सत्य का सेवन नि ं करता
वो सत्य का बर् कै से
हदखाएगा?
ककसीभी बदतर स्स्ा ती में भी
सत्यवादी इन्सान को कु छ निीं िोगा
सत्यवाद राजा िररश्चंद्र
बबना अभयता से सत्याग्रि की गाड़ी
एकभी कदि हिर् नि ं सकती
जोभी दुुःख आता िै इसे सिने की
ताकत कु दरत ने इन्सान िें रखी
िै
यहद आपको देशसेवा नहि भी
करनी िै तो भी ये गुण जीवन
िें बिुत उवपयोगी िै
यहद मशक्षा का अथल अक्षरज्ञान ि िै तो
वो िगथयार के बराबर िै इसका बुरा या
अच्छा भी इस्तिार् िो सकता िै
अक्षरज्ञान से दुतनया को फायदे
के बदर्े नुकशान ज्यादा िुआ िै
इन्सान को आप अक्षरज्ञान दे के
क्या करना चािते िो?
इस के सुख िें क्या बढोतर
करोगे ?
इसकी जोंपड़ी और स्स्थतत का
असंतोष पैदा करोगे?
पस्श्चि के प्रताप से दबकर मशक्षा दे
रिे िै र्ेककन आगे पीछे का ख्यार्
नि ं करते
अंग्रेज पंडडत : मशक्षा के बारे िें किते िै
वि इन्सान को सहि मशक्षा मिर्
िै स्जसने अपने शर र को वश िें
ककया िै खुद का शर र उसीके
तनयंत्रण िें िै,शर र को हदया िुआ
काि शर र की इस्न्द्रया बराबर
करती िै और कु दरत के तनयिो
का पार्न करता िै
िि और आप गर्त मशक्षा िें
फस गए िै
जब ििने अपनी इस्न्द्रयो को
वश िें कर मर्या िो,तनतत की
िजबूत बुतनयाद रखी िो,तभी
जाके िि अक्षरज्ञान र्े तो ि
इसका अच्छा उवपयोग कर
सकते िै
पिर्े तनतत की मशक्षा र्े बाद िें
दूसर मशक्षा र्े तभी िि हटक
पाएंगे
करोडो इंसानों को अंग्रेजी मशक्षा
देना वो तो गुर्ािी की ओर
र्ेजाने के बराबर िै
स्जस मशक्षा का अंग्रेजी िें
इस्तिार् िो जाता िै वो ििारा
श्ृंगार बनती िै
िि ििारे स्वराज की बात दूसरो
की भाषा िें करते िै,यि ििार
कं गामर्यत िै?
िमारे देश में िमें न्याय के ललए
अंग्रेजी भाषा का इस्तमाल करना
पड़े !
यि गुर्ािी की सीिा नि िै
तो क्या िै?
हिंदुस्तान को गुर्ाि बनाने वार्े िि
अंग्रेजी जानने वार्े ि िै
िि ऐसे ददल िें फस गए िै की
बबना अंग्रेजी मशक्षा से काि चर्ार्े
ऐसा सिय ि नि ं िै,स्जसने अंग्रेजी
मशक्षा र् िो वि इसका अच्छा
इस्तिार् करे
पक्की आयु के बाद भर्े ि
िि अंग्रेजी मशक्षा र्े र्ेककन
मसफल इसके छेदन के मर्ए ि
इसिे से पेसे बनाने के इरादे
से नि ं
धिल या तनतत की मशक्षा तो
पिर् ि िोनी चाहिए
हिंदुस्तान कभी भी नास्स्तक
बनने वार्ा नि ं िै
जब से यंत्रो से काि िोने र्गे तभी
से हिंदुस्तान गुर्ाि िोने र्गा
हिंदुस्तान से स्जतनी भी
काररगररका नशा िुआ इसिें
िेनचेस्टर का ि िाथ िै
यंत्रो यूरोप को उज्जड बनाने र्गे िै
वि िवा हिंदुस्तान की ओर आगई िै
यंत्रो अभी की सुधार की बड़ी
तनशानी िै और वि ििापाप िै
िुम्बई की जीतनी मिर्ो िें जो
िजूर काि कर रिे िै वि गुर्ाि
बन चुके िै
जब मिर्ो की बाररश नि ं िुई थी
तो र्ोग भूख से थोड़ी िर रिे थे?
यहद यंत्रो की िवा बड़ी िोगी तो
हिंदुस्तान की दशा बिोत दुखी िोगी
गर ब बना िुआ हिंदुस्तान छु ट सकता
िै र्ेककन अनीतत के पेसे से बना
हिंदुस्तान नि ं छु ट पायेगा
जब ये सब चीजे यंत्रो से नि ं बनती
थी तब हिंदुस्तान क्या करता था ?
जब तक िि िाथ से िोर्वपन
नि ं बना र्ेते तब तक इसके
बीना चर्ार्ेंगे
जिा रेर् जेसे साधन बड़े िै विा
र्ोगो की तंदुरस्ती बबगड़ी िै
यंत्रो की अच्छी बात एक भी याद नि ं
आती र्ेककन इसकी बुर बातो से िें
पूर ककताब मर्ख सकता िु
अंग्रेजी संबंध की जरुरत िै ऐसा
बोर्ना भी,इश्वर के चोर िोने बराबर िै
ििें इश्वर के मसवा और ककसीकी
जरुरत िै ऐसा बोर्ना भी नि ं
चाहिए
ििें यूरोप या दुसरे देश का कपड़ा या दूसर
चीजे नि ं चाि ए िि ििारे देश िें बनी
चीजो से ि अपना काि चर्ाएूँगे
वि सच्चा तनडर िै जो आत्िबर् से
िै और जो शर रबर् से दबता नि ं िै
जो अंग्रेजी भाषा का इस्तिार् बिोत
जरुरत के सिय पर ि करेगा
जो वकील िै वो वककलात छोड़ देगा
और अपने घरमे चरखा चलाएगा
जो डॉक्टर िो वो डॉक्टर छोड़ दे और
सिजे की र्ोगो के शर र की जगि
आत्िा का संशोधन करके इसे अच्छा
बनाए
जो पेसे वार्े िै वि खुद का पेसा चरखे
र्गाने र्गाए और खुद स्वदेशी िार्
पिनके दुसरो को प्रेररत करे
सब ये बात सिजर्े की बोर्ने
से काि करने की असर बहढ़या
िोती िै
सब हिन्दवासी सिजर्े की दुसरे
र्ोग करेंगे तो िें करूूँ गा ये नि ं
करने का अच्छा बिाना िै
स्वराज की चाबी सत्याग्रि,आत्िबर्,
द्याबर् िै
इस बर् का इस्तिार् करने के मर्ए
स्वदेशी को पकड़ ने की जरुरत िै
संपकत +91 9426281770 , 9974429179
ईमेल : rilshukla.anant@gmail.com
Revolution In Life 251
भारतीय संस्कार समितत
ििात्िा गाूँधी के हिन्द स्वराज ककताब िें से
धन्यवाद
Revolution In Life 252

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