3. ववस्ततर और आरम्भ
• इस अधधतियर् कत उद्देश्य मशशु-प्रसव के पुवा
एवं उसके तद की कु छ अवधध र्ें र्हिलतओ के
तियोजि को ववतियमर्त करित िै| यि
अधधतियर् 12 हदसम् र 1961 से लतगु िोगत|
4. उद्देश्य
• र्ततृत्व अवकतश एवं लतभ
– र्ततृत्व की गररर्त की रक्षत|
– ज कक र्हिलत कतयास्थल पर कतया करिे की
स्स्थतत र्ें ििीं िै, र्हिलत एवं च्चे की पूणा
स्वतस््य देखभतल|
प्रसूति प्रसुविधा अधधतियम 1961
यि अधधतियर् र्हिलतओं को आश्वतमसत करतत िै कक ज
वे मशशु की गृि देखभतल कतर रिी िै उस दौरति उिके
कतया स्थल पर अधधकतरों की रक्षत िोगी|
5. धतरत 1
• यि अधधतियर् संपूणा भतरत र्ें लतगु िोगत| उस
ततधथ को जो ततधथ ककसी अधधसूचित द्वतरत
अधधसूधचत कतर दी जतएगी| अधधसूचित तिम्ि
द्वतरत जतरी की जत सके गी :
– के न्द्रीय सरकतर द्वतरत
– रतज्य सरकतर द्वतरत|
• धतरत 5-A तथत धतरत 5-B के प्रतवधतिों को
छोड़कर, इस अधधतियर् की कोई भी तत ककसी
भी ऐसे कतरखतिे यत अन्द्य संस्थति पर लतगु
ििीं िोगी, स्जस पर तत्सर्य कर्ाचतरी रतज्य
ीर्त अधधतियर्, 1948 के प्रतवधति लतगु िोते
िों|
6. धतरत 2
• प्रत्येक उद्योग, खति, तगति (स्जसर्ें सरकतरी
संस्थति भी सस्म्र्मलत िैं) |
• प्रत्येक संस्थति स्जसर्ें लोग घुड़सवतरी,
कलत तजी तथत अन्द्य करत ों के प्रदशाि िेतु
तियुक्त िोते िैं|
• दुकतिें जिताँ 10 यत अधधक व्यस्क्त तियोस्जत
िैं अथवत वपछले 12 र्िीिे र्ें तियोस्जत थे|
7. धतरत 3
• सर्ुधचत सरकतर :- ककसी ऐसे संस्थतपि के
सम् न्द्ध र्ें जो की खति िैं, यत जिताँ पर लोग
अश्वरोिि-कौशल प्रदशाि, िटीय कलत तजी और
ऐसे अन्द्य करत ों को प्रदमशात करिे के मलए
तियुक्त ककये जतते िैं, के न्द्रीय सरकतर सर्ुधचत
सरकतर िै|
– अन्द्य ककसी भी संस्थति के सम् न्द्ध र्ें रतज्य
सरकतर सर्ुधचत सरकतर िै| [ धतरत 3(a)]
8. • संस्थति:
– कतरखतित
– खति
– तगति
– कोई एक दुकति यत संस्थति
– कोई भी एसत संस्थति स्जस पर अधधतियर् के प्रतवधतिों को लतगु
करिे की के न्द्रीय यत रतज्य सरकतर द्वतरत अधधसूचित [ धतरत 2(1)
के अधीि ] जतरी कर दी गई िै| [धतरत 2(e)]
• गभापतत: गभतावस्थत के 26वें सप्तति के पूवा यत दौरति की ककसी
कतलतवधध र्ें सगभा गभताशय की ववषय-वस्तु के तिष्कतसि से िै| ककन्द्तु,
इसके अंतगात एसत कोई गभापतत सस्म्र्मलत ििीं िै जो भतरतीय दंड संहितत
के अधीि दंडिीय िै| [धतरत 3(j)]
9. • र्जदूरी: वि सर्स्त पतररश्रमर्क, जो ककसी स्री को
रोजगतर के अिु ंध की स्पष्ट यत गमभात शतों के पूरत
करिे पर िकद र्ें हदयत गयत िै अथवत हदयत जतित
िै|
• स्री: तियोस्जत स्री, चतिे उसे प्रत्यक्ष रूप से
तियोस्जत यत तियुक्त ककयत गयत िो अथवत ककसी
एजेंसी के र्तध्यर् से| [धतरत 2(o)]
10. धतरत 4
कु छ अवधधयों र्ें तियोस्जत पर तिषेध
• प्रसव यत गभापतत के तद तियोजि पर तिषेध
• प्रसव यत गभापतत के तद कतया करिे पर तिषेध
• स्री के आवेदि पर भी कु छ कतयों पर तिषेध
11. धतरत 5
प्रसूतत लतभ
• प्रसव से पिले 10 सप्तति (6 सप्तति व1 र्िीिे) के मलए
िल्कत कतया
• ज तक च्चत 15 र्िीिे कत ि िो जतए, 2 िमसिंग
अवकतश
• र्ततृत्व अवकतश के दौरति कोई छु ट्टी यत खतास्तगी
ििीं।
• र्ततृत्व अवकतश के दौरति ककसी भी स्स्थतत र्ें उसके
रोजगतर के िुकसति कत कोई शुल्क ििीं।
• गभावती र्हिलतओं को छु ट्टी दे दी गयी िो यत खतररज
कर दी गई िो, किर भी वे तियोक्तत से र्ततृत्व लतभ कत
दतवत कर सकते िैं।
•गैर िकद लतभ
12. प्रसूतत लतभ की शतें तथत अवधध
• कर् से कर् 80 हदि कतया ककयत िो| (स्जस स्री िे
असर् रतज्य र्ें आप्रवतस ककयत िो तथत उस सर्य
गभावती रिी िो)
• लतभ की अधधकतर् अवधध 52 सप्तति िोगी|
• संभतववत ततधथ से पूवा 26 सप्तति से अधधक कत
अवकतश ििीं मलयत जत सकतत|
• प्रसव से पूवा स्री की र्ृत्यु िोिे पर र्ृत्यु की ततधथ
तक लतभ देय िोगत|
• प्रसव के दौरति यत तद र्ें र्ृत्यु िोिे पर यहद मशशु
जीववत िै तो सम्पूणा अवधध के मलए| [धतरत5(3)]
13. भुगतति
• तिधताररत प्रतरूप र्ें सूचित देिे पर|
– िॉमर्िी
– अन्द्य संस्थति र्ें कतया ििीं करेगी
– उस ततधथ कत उल्लेख स्जससे वि अिुपस्स्थत
रिेगी|
गभावती िोिे कत प्रर्तण प्रस्तुत करिे पर पूवावती
अधिर् भुगतति
मशशु जन्द्र् कत प्रर्तण देिे पर 48 घंटों के भीतर
भुगतति|