2. सफलता
“सफलता पाप करने के िलए ज़बरदसत पयत और ज़बरदसत
इचछा रखो ।
पयतशील विक कहता है ,.... 'म ैसमदु पी जाऊँगा , मरेी
इचछा से पवतर टुकड़े टुकड़े हो जाएँगे "।
इस पकार की शिक और इचछा रखो , कड़ा पिरशम करो ,
तमु अपने उदेशय को िनिशत पा जाओगे । ”
Swami Vivekananda
3. असफलता की िचता मत करो
असफलता की िचता मत करो ; वे िबलकुल सवाभािवक है,
असफलताएं जीवन का सौदयर है । उनके िबना जीवन कया होता ।
जीवन मे यिद संगषर ना रहे , तो जीिवत रहना ही वथर है- इसी
संघषर मे है जीवन का काव ।
संघषर और तुिटयो की परवाह मत करो । मैने िकसी गाय को झूठ
बोलत ेनही सुना , पर वह केवल गाय है , मनुषय कभी नही ।
इसिलए इन असफलताओ पर धयान मत दो , यह छोटी छोटी
िफसलने है ।
आदशर को सामने रख कर हज़ार बार आगे बढ़ने का पयत करो ।
यिद तमु हज़ार बार भी असफल होते हो , तो एक बार िफर पयत
करो ।
4. इचछाशिक
“इचछाशिक ही सबसे बलवती है । इसके सामने हर एक
वसत ुझुक सकती है , कयोिक वह ईशर और सवयं ईशर से
ही आती है ।
पिवत और दृढ इचछाशिक सवशरिकमान है । कया तमु
इसमे िवशास करते हो ?”
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5. कमज़ोरी का इलाज
“कमज़ोरी का इलाज कमज़ोरी का िवचार करना नही ,
पर शिक का िवचार करना है ।
मनषुय को शिक का िवचार करना है । मनषुय को शिक
की िशका दो , जो पहले से ही उसमे है ।”
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7. पाप , दुःख आिद सब कमज़ोरी के ही पिरणाम है..
संसार की कूरता और पापो की बात मत करो । इसी बात पर खदे
करो की तमु भी कूरता देखने को िववश हो । इसी का तुमको दुःख
होना चािहए की तुम सब ओर केवल पाप
देखने के िलए बाधय हो ।
यिद तमु संसार की सहायता करना आवशयक समझते हो , तो उसकी
िननदा मत करो ।उसे और अिधक कमज़ोर मत बनाओ ।
पाप , दुःख आिद सब कया है ? कुछ भी नही , वे कमज़ोरी के ही
पिरणाम है । इस पकार के उपदेशो से संसार िदन - पितिदन
अिदकािधक कमज़ोर बनाया जा रहा है ।
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