मलेरिया की जटिलताएं
सेरीब्रल मलेरिया
फैलसिपैरम मलेरिया में रोगी का बेहोश होना बहुत अशुभ और अनिष्टकर लक्षण है, क्योंकि पूरी कौशिश और उपचार करने के बाद भी मृत्युदर वयस्क में 20% और बच्चों में 15% रहती ही है। रोगी में हल्की सी बेसुधी, बेखुदी या बेहोशी को भी बहुत गंभीरता से लेना चाहिये। सेरीब्रल मलेरिया की शुरूवात धीरे-धीरे 2-4 घंटे में या दौरे के बाद अचानक हो सकती है।
सेरीब्रल मलेरिया को दिमागी बुखार भी कहते हैं। यह रोग पूरे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसमें स्थानिक नाड़ीजनित लक्षण असामान्य हैं। रोगी को सर्दी और कंपकंपी के साथ तेज बुखार आना, सिरदर्द, रक्तचाप कम होना, शरीर का हुलिया बिगड़ जाना, मांस-पेशियों में दर्द और जकड़न आदि लक्षण होते हैं। रोगी अचेत, बेसुध और बेहोश पड़ा रहता है। बेहोशी एक से तीन दिन तक रह सकती है। शुरू में तो उसे होश में लाया जा सकता है लेकिन बाद में तो उसे होश में लाने के प्रयास नाकाम ही रहते हैं। 10% वयस्क और 50% बच्चों में बार-बार दौरे पड़ते हैं। पक्षाघात हो सकता है। पुतली और टेंडन रिफ्लेक्स धीमे पड़ जाते हैं।
हालांकि गर्दन को झुकाने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन मस्तिष्क के भीतर का तनाव बढ़ने के संकेत और लक्षण जैसे गर्दन में जकड़न या प्रकाशभीति (photophobia) नहीं होते हैं। इस रोग के कारण दृष्टि-पटल (Retina) में चार दोष - दृष्टि-पटल पर सफेद धब्बे, रक्तवाहिकाओं का सफेद या नारंगी पड़ जाना, रेनीना में रक्त-स्राव और पेपिलीडिमा देखने को मिलते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि पहले दो दोष सिर्फ सेरीब्रल मलेरिया में ही होते हैं।
परजीवी के आक्रमण के कारण लाल कोशिकाओं का अपक्षयन (Hemolysis) होता है, जिससे रक्तस्राव, रक्तअल्पता हो सकती है। साथ में मूत्र में रक्त का स्राव, पीलिया, यकृत तथा तिल्ली का बढ़ना तथा दर्द होना और वृक्कव
1. मले�रया क� जिटलताएं
सेरीब्रल मले�रय
फै लिसपैरम मले�रया में रोगी का बेहोश होना बह�त अुभ और अिन�कर ल�ण ह, क्योंिकपूरी कौिशश औ
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उपचार करने के बाद भी मत्युदर वयस्क म20 % और बच्चों म15% रहती ही है। रोगी में हल्क� सी बेसु,
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बेखदी या बेहोशी को भी बह�त गंभीरता से लेना चािहये। सेरीब्रल मले�रया क� शु�वात धी-धीरे 2-4 घंटे में
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या दौरे के बाद अचानक हो सकती है।
सेरीब्रल मले�रया को िदमागी बुखार भी कहतेहैं। यह रोग पूरे मिस्तष्क को प्रभािवत करता है। इसमें
नाड़ीजिनत ल�ण असामान्य हैं। रोगी को सद� और कंपकंपी के साथ तेज बुखार आ, िसरददर , र�चाप
कम होना, शरीर का ह�िलया िबगड़ जाना, मांस-पेिशयों में ददर् और जकड़न आिद ल�ण होते हैं। रोगी ,
बेसुध और बेहोश पड़ा रहता है। बेहोशी एक से तीन िदन तक रह सकती है। शु� में तो उसे होश में लाया ज
सकता है लेिकन बाद में तो उसे होश में लाने के प्रयास नाकाम ही रहते 10% वयस्क औ 50% बच्चों म
बार-बार दौरे पड़ते हैं। प�ाघात हो सकता है।पुतली और टेंडन �रफ्लेक्स धीमे पड़ जाते ह
हालांिक गदर ्न को झुकाने में थोड़ी िदक्कत हो सकती, लेिकन मिस्तष्क के भीतर का तनाव बढ़ने के संके
और ल�ण जैसे गदर ्न में जकड़न या प्रकाशभ( photophobia) नहीं होते हैं। इस रोग के कारण �पटल (Retina) में चार दोष- �ि�-पटल पर सफे द धब्ब, र�वािहकाओ ं का सफे द या नारंगी पड़ जाना,
रेनीना में र-स्राव और पेिपलीिडमा देखने को िमलतेहैं। ध्यान देने योग्य बात यह है िक पहले दो दोष
सेरीब्रल मले�रया में ही होते ह
परजीवी के आक्रमण के कारण लाल कोिशकाओं का अप�य( Hemolysis) होता है, िजससे र�स्र,
र�अल्पता हो सकती है। साथ मेंमूत्र में र� क, पीिलया, यकृत तथा ितल्ली का बढ़ना तथा ददर् होन
और वक्कवात भी हो सकता है।
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हाइपोग्लाइसीिमय
हाइपोग्लाइसीिमया गंभीर मले�रया क� सामान्य और महत्वपूणर् जिटलत, जो बुरे फल क� तरफ इंिगत
करती है। बच्चों तथा गभर्वती ि�यों में हाइपोग्लाइसीिमया का होना ही घातक िसद्ध हो सक है।
इसका कारण यकृत में ग्लूको( Gluconeogenesis) का िनमार ्ण कम हो जाना और ज्वर के कारण रोग
तथा परजीवी (कम मात्रा में ही सही लेिकन परजीवी भी ऊजार् हेतु ग्ल का भ�ण तो करता ही है) द्वार
2. ग्लूकोज का उपभोग बढ़ जाना है। इसके उपरान् िफर िक्वनी, िजसे अभी भी गंभीर और अजिटल
फै लिसपैरम मले�रया के उपचार में खूब प्रयोग में िलया जात, अग्न्याशय में इंसुिलन का स्राव को ए
बढ़ाती है और ग्लूकोज का स्तर कम करती है। गभर्वती ि�यों में इं-जिनत हाइपोग्लाइसीिमया होनाभी
क�दायक िस्थित है। दूसरा गंभीर रोिगयों में इसका िनदान भी मुिश्कल है क्योंिक हाइपोग्लाइसीि
िविश� ल�ण ( ठंडा पसीना आना, �दयगित बढ़ना) प्रायः अनुपिस्थत होते हैं और इसके -जिनतल�णों को मले�रया के ल�णों से पृथक करना भी किठन होता है।
अम्लता(Acidosis)
ऐिसडोिसस गंभीर मले�रया में मृत्यु का बह�त बड़ा कारण है। यह शरीर में अकाबर्िनक अम्ल का संच
जाने के कारण होता है। हाइपोग्लाइसीिमया के साथ प्रायः लेिक्टक ऐिसड भी बढ़ता है। वयस्क रोग
ऐिसडोिसस के साथ वक्-िवकार होना िस्थित को
और खराब करता है। अम्-�ास ( Acidotic
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Breathing) िजसे �ास-िवपि� ( Respiratory Distress) भी कहते है, भी बह�त बुरा संकेत है। यह प्राय
र�-आयतन बढ़ाने और औषिध देने के उपरांत भी प�रवहन-आघात ( Circulatory Failure) होने के बाद
होता है। र� में बाइकाब�नेट और लेक्टेट का स्तर फलानुमान का अच्छा संकेत माना जाता है। लेि
ऐिसडोिसस के कारण ऊतकों में परजीवीयों क� वजह-प्रवाह बािधत होने से ह�ए अवायवी
ग्लाइकोलीिसस(Anaerobic Glycolysis), र�-आयतन कम होना, परजीवी द्वारा लेक्टेट बनाना
यकृत तथा वक्क द्वारा लेक्टेट का उत्सजर्न कम होनइसका फलानुमान बह�त ही खराब होता है।
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फुफ्फुस जलोदर(Noncardiogenic Pulmonary Edema)
गंभीर फै लिसपैरम मले �रया में कई िदनों तक उपचा करते रहने पर भी वयस्क रोगी को अ�द-जिनत
फुफ्फुस जलोदर हो सकता है। वयस्क रोगी में रोग �सन-िवकार क� रोगजनकता अस्प� है। मृत्यु द
80% से अिधक है। इस िवकार में अिधक अंतःिशरा द्रव देने से िस्थित और खराब हो सकती है। यह िव
अजिटल वाइवेक्स मले�रया में भी हो सकता , लेिकन अमूमन इलाज से ठीक हो जाता है।.
वक्-िवकार (Renal Impairment)
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गंभीर फै लिसपैरम मले�रया के वयस्क रोिगयों में व-िवकार
होना भी सामान्य घटना है। इसक�
रोगजनकता भी अस्प� ही है। इसमें मुख्य िवकृित ट्यूव्युलर नेक्रो, कोिटर ्कल नेक्रोिसस कभी न
होता है। अन्य अवयव क� काय-प्रणाली बािधत होने के साभी ती�ण वक्कपात हो सकता है। इस िस्थित म
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मत्यु दर अिधक रहती है। उिचत उपचार होने पर मूत्र िवसजर्न अम4 िदन में सामान्य हो जाता हैलगभग
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17 िदन में िक्रयेिटनीन भी सामान्य हो जाता है। समय रहते डायलीिसस करना बह�त िहिसद्ध हो है।
3. र�-िवकार (Hematologic Abnormalities)
प्लीहा(spleen) द्वारा �ग्ण और कमजोर लालकोिशकाओं के , परजीवी क� शाइज़ोगोनी अवस्था से
लालकोिशकाओ ं के �ितग्रस्त होने और र� के अप्रभावी िन( erythropoiesis) के कारण र�-अल्पता
(Anemia) होना स्वभािवक है। फैलिसपैरम मले�रया में िबंबाणु भी कम होने लगतेहैं और र�स्राव
असामान्य नहीं है। आमाशय में छालों के कारण र� क� उलटी होना असामान्य ल�ण है। गंभ-अल्पता
में पैक से, िबंबाणु अथवा र�-आधान (transmission) आवश्यक होता है।
यकृत िवकार (Liver Dysfunction)
मले�रया में मामूली र-अपघटन जिनत पाण्डुरो (Hemolytic Jaundice) होना सामान्य है। र� गंभीर
पीिलया प्रायः फैलिसपैरम मले�रया में ही होता है िज प्रमुख कारकहैं-अपघटन ( Hemolysis),
यकृत-कोिशका आघात (Hepatocellular Injury) और िप�-प्रवाह में �क (Cholestasis) । पीिलया
प्रायः बच्चों क� अपे�ा वयस्क रोिगयों में होता है। यिद पीिलया के साथ अन्य महत्वपूणर् अवयव
भी ठीक से कायर ् नहीं कर रहे हों तो खतरा बढ़ जाता है। यकृत िवकार के कारण हाइपोग्लाइसी,
लेिक्टक ऐिसडोिसस हो जाना और दवाओं का चयापचय िबगड़ जाना भी संभव है।
बच्चोंमें मले�र(Malaria in Children)
हर साल मले�रया से मरने वाले 10 लाख रोिगयों में अिधकांश अफ्र�का में रहने वाले छोटे बच्चे होते हैं।
मले�रया में बच्चों को द (Convulsions), बेहोशी (Coma), हाइपोग्लाइसीिमय, चयापचय अम्लत
(Metabolic Acidosis), गंभीर र�-अल्पता आिद ल�ण बह�त सामान्य होते, जबिक गहन पीिलया,
ती�ण वक्कपा, ती�ण फुफ्फुस जलोदर बह�त असामान्य होतेहैं। िफर यिद समय रहते अच्छे िचिकत्
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के ंद्र में उहचार शु� हो जायेअमूमन बच्चे बह�त जल्दी ठीक जाते हैं।
गभार्वस्थामें मले�
मले�रया बाह�ल्य इलाकों में मले�रया संक्रमण के कार ण गभर्वती ि�यां प्रायः कमजोर और कम
िशशुओ ं को जन्म देती हैं और इन िशुओं तथा बच्चों में मृत्यु दर भी अिधक रहती है। यिद .आइ.वी.
श
ग्रस्त हो तो मां और नमजात िशशु को मले�रया का संक्रमण होने क� संभावना अिधक रह, साथ ही िशशु
का वजन भी कम रहता है।
4. ऐनोिफलीज़ मच्छर को गभर्वती ि�यों का खून बह�त स्वािद� लगता है। इसिलए मले�रया ग्रस्त इल
गभर ्वती �ी को गंभीर मले�रया होने क� संभावना प्रबल रहती है। इन ि�यों में र�,
हाइपोग्लाइसीिमया और ती�ण पुफ्फुस जलोदर भी सामान्य ल�ण होते हैं। -िवपि� (
Fetal
Distress), समयपूवर् प्र(Preterm Labour) या मत-िशशु के जन्म(Stillbirth) क� संभावना बनी रहती
ृ
है और गंभीर मले�रया में िशुश क� मृत्यु भी हो सकती है। मले�रया से संक्रिमत ि�यो 5% से कम िशशुओ ं
का जन्मजात मले�रया( Congenital Malaria) हो सकता है। हर वषर ् गरीब उष्णकिटबन्ध देशों में डे
लाख गभर ्वती ि�यो(मले�रया से संक्रि) क� प्रसव के दौरान र�स्राव या अन्य कारण से मृत्यु होती ह