आत्मदर्शन Visualization
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
President, Flax Awareness Society
7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota(Raj.)
Join me at http://flaxindia.blogspot.com/
+919460816360
आत्मदर्शन या विज्वलाइजेशन शायद सबसे मुख्य विधा है जिसकी मदद से आप अपने जीवन को अभीष्ट दिशा में ले जा सकते हो। जो कुछ आप चारों तरफ देख रहे हैं, वह प्रारंभ में सिर्फ एक विचार ही होता है। जैसे यह कप जिसमें आप चाय ही रहे हैं या यह घर जिसमें आज आप रहते हैं, बनने से पहले वह कभी आपके मन में एक विचार के रूप में ही था कि आप ऐसा घर बनाना चाहते हैं। फिर आपने उसकी योजना बनाना शुरू किया, उसका नक्शा बनवाया और इसके बाद उसका निर्माण करवाया। तब जाकर उसका भौतिक अस्तित्व सामने आया जिसमें आज आप रहते हैं। इस तरह मनुष्य का जीवन हमेशा समय की पटरी पर निरंतर आगे ही चलता जाता है और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखता।
आप इस बात को समझ लीजिये कि हमारे चारों तरफ जो कुछ भी है, वह शुरू में मात्र एक विचार, एक ऊर्जा, एक तरंग होती है। यह समझना बहुत आवश्यक है, यही एक तरीका है जिससे आप समझ सकते हैं कि ऊर्जा ही पदार्थ में परिवर्तित होती है। जरा सोचिये कि एक हिप्नोटिस्ट आपको यह मानने के लिए बाध्य कर देता है कि आपकी हथेली में जो सिक्का है वह बहुत गर्म है, उसकी गर्मी से आपकी हथेली लाल हो जाती है, यहाँ तक कि आपके हाथ में फफोले भी पड़ सकते हैं। यहाँ सिक्का सिर्फ विचार के द्वारा ही आपको गर्म लगने लगता है। यदि आपने यह सोचा होता कि आपकी हथेली पर रखा सिक्का ठंडा है तो क्या आपकी त्वचा लाल हुई होती?
यदि आप यह विश्वास कर चुके हैं (लेकिन मेरे खयाल से आप अभी करेंगे नहीं) कि एक अमुक विचार से कुछ ही सैकंड में पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है। तो एक उपयुक्त विचार ट्यूमर (कैंसर) की अवस्था में बदलाव क्यों नहीं कर सकता है। कई वर्षों से आत्मदर्शन के प्रशिक्षक श्री कार्ल सिमोन्टन यही बात साबित करने की कौशिश तो कर रहे
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Visualization
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आत्मदशर्Visualization
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
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7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota(Raj.)
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आत्मदशर्न शायद सबसेमुख्य िवधा है िजसक� म
से आप अपने जीवन को अभी� िदशा में ले जा सकते
हो। जो कुछ आप चारों तरफ देख रहे ह, वह प्रारंभ म
एक िसफर् िवचार ही होता है। जैसे यह कप िजसमें आ
चाय ही रहे हैं या यह घर िजसमें आज आप रहते ,
बनने से पहले वह कभी आपके मन में एक िवचार के
�प में ही था िक आप ऐसा घर बनाना चाहते हैं। िफ
आपने उसक� योजना बनाना शु� िकया, उसका
नक्शा बनवाया और इसके बाद उसका िनमार्
करवाया। तब जाकर उसका भौितक अिस्तत्व सामने आया िजसमें आज आप रहते हैं। इस तरह मनुष्य का
हमेशा समय क� पटरी पर िनरंतर आगे ही चलता जाता है और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखता है।
भूतकाल भिवष्
आप इस बात को समझ लीिजये िक हमारे चारों तरफ जो कुछ भी ह, वह शु� में मात्र एक िव, एक ऊजार, एक
तरंग होती है। यह समझना बह�त आवश्यक ह, यही एक तरीका है िजससे आप समझ सकते हैं िक ऊजार् ही पदाथ
में प�रवितर्त होती है। जरा सोिचये िक एक िहप्नोिटस्ट आपको यह मानने के िलए बाध्य कर देता है िक
हथेली में जो िसक्का है वह बह�त गमर्, उसक� गम� से आपक� हथेली लाल हो जाती है, यहाँ तक िक आपके हाथ
में फफोले भी पड़ सकते हैं। यहाँ िसक्का िसफर् िवचार के द्वारा ही आपको गमर् लगने लगा था। यिद आपने य
होता िक आपक� हथेली पर रखा िसक्का ठंडा है तो क्या आपक� त्वचा लाल ह�ई ह?
यिद आप यह िव�ास कर चुके हैं(लेिकन मेरे खयाल से आप अभी करेंगे नह) िक एक अमुक िवचार से कुछ ही
सैकंड में पदाथर् अपनी अवस्था बदल सकता है। तो एक उपयु� िवचार ट्यू(कैंस) क� अवस्था में बदलाव क्
नहीं कर सकता है। कई वष� से आत्मदशर्न के प्रिश�क श्री का न्न यही बात सािबत करने क� कौिशश तो
कर रहे हैं। लोथर हरनाइसे(कुछ िबंदुओं को छोड़ कर) उनक� शोध का बह�त सम्मान करते हैं। अपने कई प्रयोगो
कालर् ने यह िसद्ध िकया है िक कैंसर के वे रोगी अिधक समय तक जीिवत रहे िजन्होंने आत्मदशर्न िवधा
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ढंग से अपनाया था। िसमो न्न अपने कैंसर के रोिगयों को िसखाते हैं िक वे यह कल्पना करें िक उनक-
कोिशकाएं कैंसर कोिशकाओं पर आक्रमण कर रही, उन्हें नेस्तनाबूत कर रही हैं। लेिकन लोथर इस तरह
िवचार से सहमत नहीं है। क्योंिक पहले तो इस िवचार में रोगी अपने ट्यूमर पर ध्यान कैंिद्रत करता है जबि
मानते हैं िक मुख्य समस्या कुछ और है ट्यूमर का महत्व िद्वतीयक है। दूसरा रोगी अपने शरीर में एक युद्ध
मन में लाता ह, जब िक वे शत प्रितशत यह मानते हैं िक कैंसर के रोगी संतुलन और तारतम्य(Harmony) क�
आवश्यकता होती ह, न िक युद्ध क� कल्पकरने क�।
श्री लोथर ने कैंसर के सैंकड़ों िवजेताओं से सा�ात्कार िकया है और वे इस नतीजे पर पह�ँचे हैं िक कैंसर
अपने ट्यूमर से सीधा सामना करने से बचता है, लेिकन अपने स्वस्थ भिवष्य क� सुखद कल्पनाओं में डूबे
पसन्द करता है। हालांिक हर रोगी क� अपनी अलग तकनीक होती ह, लेिकन सबका अंत समान ही होता है, अपने
सुखद भिवष्य का सृजन करना। लोथर यह मानते हैं िक उनक 3E कायर्क्रम में सबसे अहम कोई िबंदु है तो
आत्मदशर्न ही है। क्योंिक यिद अपना भिवष्य हम सृजन नहीं करेंगें तो और क ? कृपया अपनी समय रेखा
का पुनः अवलोकन क�िजये और िवचार- वस्तु रेखा से इक� तुलना क�िजये।
िवचार वस्त
भूतकाल भिवष्
दोनों रेखाएं एक ही िदशा में चल रही हैं और दोनों पीछे नहीं मुड़ती हैं। आप इनमें से िकसी भी रेखा को पी
मोड़ सकते हैं। इसिलए आज से ही प्रारंभ , खुद अपने भिवष्य का सृजन करना शु� करें
नीचे मैं आपको श्री लोथर क� तकनीक को िवस्तार से समझाने क� कौिशश क, जो उन्होंने अपने िमत्रो
यूरोप के प्रिसद्ध आत्मदशर्न के प्रिश�क जेक ब्लैक और क्लॉस पटर्ल से सीखी है। िपछले कुछ वष� मे
जेक ब्लैक ने अपनी माइंड स्टोर िसस्50,000 से ज्यादा लोगों को िसखाया है। वे कई िवख्यात लोगों
कम्पिनयों के कंसल्टेंट है। लोथर कहते हैं िक कैंसर के हर रोगी को जेक(अंग्रे) या क्लॉस पटर्(जमर्) के
सेमीनार में जाकर आत्मदशर्न क� तकनीक सीखना ही चािहय
आमतौर पर कैंसर का रोगी यह सोचता है िक उसके िलए सबसे मुख्य काम ट्यूमर को न� करना , जब ट्यूमर से
मुि� िमल जायेगी तब वह कोई आध्याित्मक उपचार को अपनायेगा। लेिकन यह बह�त जोिखम भरा िनणर्य है।
बह�त ज�री है िक रोगी ट्यूमर को खत्म करने के उपचार के साथ ही आत्मदशर्न तकनीक से अपने सुखद भिव
का सृजन भी करना शु� करे।
कै से? यह शब्द भी बह�त महत्व रखता है क्योंिक यह कई अहम िनणर्य लेने में व्यवधान पैदा करता है। प्
लोगों ने कभी ध्या(Meditation) नहीं िकया है या िजनके िवचार आध्याित्मक नही, आत्मदशर्न के महत्व
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नहीं समझ पाते हैं। इसिलए यह सोचने क� गलती मत क�िजये िक यह आत्मदशर्न कैसे ट्यूमर को न� क,
बिल्क मुझ पर और लोथर पर िव�ास कर लीिजये िक यह कायर् करता है
वैसे आपको आत्मदशर्न िसखाने वाले कई प्रिश�क िमल जायेंगे। लेिकन अिधकांश प्रिश�कों को कैंसर क
को आत्मदशर्न िसखाने का अनुभव नहीं होता है। वे आठ िदन तक आपको अधूरा �ान देते, और कुछ ही िदनों मे
आप िफर सब कुछ भूल जाते हैं। एक अच्छे प्रिश�क क� पहचान करना भी किठन काम
सं�ेप में मैं यही कह�ँगा िक आप अपने प्रिश�क से अपने भिवष्यको सुखद बनाने क� तकनीक सीखें। भ
वतर्मान पर अिधक ध्यान देने क� ज�रत नहीं है। लोथर कहते हैं िक यिद आप अपने भूतकाल के बारे में जानत
तो भिवष्य को बदलना आसान रहता है। लोथर यह नहीं कहते हैं िक रोगी अपने भूतकाल के बारे में िबलकुल
सोचे, आप उन्हें गलत मत समिझये। कैंसर के उपचार में भिवष्य के सृजन पर पयार्� ध्यान देना आवश्यक ह
निदया के दांये तट पर आपका ड्रीम हा
अपने शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल
के िलए बह�त ज�री है िक आप िबलकुल
शांत (Relaxed State) होकर िवचार और
सृजन करना शु� करें। शान्त होना पहल
प्रिक्रया है। इसके िलए आपको अ
िस्थित में आना ज�री है। अल्फा शब्द
मतलब मिस्तष्क क� शांत अवस्था है। जै
ई.ई.जी. में मिस्तष्क क� चेतना का िच
होता है। मिस्तष में शांत अवस्था( 7-14
hertz)) में उत्पन्न तरंगों को अल्फा
कहते हैं(बीटा, थीटा और डेल्टा अन्य तरंग
होती है)। मन को शांत करने के िलए कई तकनीके ं या मेडीटेशन िसखाया जाता है। इसके िलए कुछ पुस्तकें
सी.डी. भी िमल जाती हैं। या आप शा�ीय संगीत भी सुन सकते हैं।
जब आप शांित क� गहन अवस्था को पूरी तरह प्रा� क, त भी आप कल्पना करना शु� करे। आप सोिचये िक
आप एक शांत नदी के दाएं तट पर चलते जा रहे हैं। थोड़ा आगे चल कर आप दाई तरफ मुड़ते हैं। आपको नील
आकाश और ह�रयाली िदखाई देती है। हरे-भरे पेड़ों के बीच में एकसुन्दर सा घर िदखाई देता, िजसक� छत लाल
रंग क� है (कृपया अपने ड्रीम हाउस क� कल्पना क�ि) । अब आप घर में प्रवेश करते हैं और एक सुन्दर से
घर में जाते ह, जहाँ एक शावर लगा है। शावर के नीचे खड़े होकर आप अपनी सारी नकारात्मकता को धो डालते हैं।
इसके बाद आप सूयर् क� सुनहरी धूप में बैठते , जहाँ कुछ ही पलोंमें तेज धूप आपके शरीर को सुखा देती है।
इसके बाद आप एक स्क्र�न �म में जाते हैं। आपके सामने वाली दीवार पर तीन बड़े स्क्र�न लगे हैं। आप
सामने एक सोफे पर आराम से बैठ जाते हैं। आपके हाथ में �रमोट कंट्रोल होता है। बांई तरफ का स भिवष्य के
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�श्य बताता ह, दािहनी तरफ का स्क्र�नतकाल के �श्य िदखाता है और बीच का स्क्र�न वतर्मान के �श्य ि
है। आपको जो कुछ भी समस्या हो आप �रमोट से बीच का स्क्र�न चालू क�िजये। आप यह स्वीकार क�िजय
आपके पहले भी कई लोगों को यह तकलीफ हो चुक� है। अब आप दािहनें स्क्र�न को चालू क�िजये। आप भू
में यह देिखये िक क्या आपको पहले भी यह तकलीफ ह�ई ? यिद ह�ई थी तो क्या आपने इसका समाधान ढूँढ़
िलया था? आमतौर पर वतर्मान क� चुनौितयों का समाधान भूतकान में नहीं िमलता है। लेिकन यिद कोई तक
जीवन में दो बार घिटत हो जाय, तो भूतकाल में उसका समाधान ढूँढ़ना बह�त िहतकर होता है। अब आप �रमोट
कंट्रोल क� मदद से इस स्क्र�न क� तस्वीर को छोटा करके फ्र�ज कर दें। इसके बाद आप �रमोट कंट्रोल
बीच वाले स्क्र�न क� तस्वीर को भी छोटा कर दें और फ्र�ज का बटन दबा
अब आप शांत होकर बाएं स्क्र�न को चालू करें और अपनी समस्या का समाधान खोजने क� कौिशश करें
िस्थित क� कल्पना क�िजये जहाँ आपक� समस्या पहले ही ठीक हो चुक� है। जैसे आपक� बाई जांघ में एक ट्य
है, िजसक� वजह से आप चल भी नहीं पाते हैं। अब आ कल्पना क�िये िक पर आप दोस्तों के साथ स्क� कर
रहे हैं। आप बफर् क� चोिट, सदर् हवाओ, दोस्तों के हंसने क� आवाजें और आपक� तेज चलती सांसों को मह
क�िजये। अब इन तस्वीरों को बड़ा क, उनक� ब्राइटनेस बढ़ाएं और अपने शरीर पर इन तस्वीरों के प्रितिब
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अनुभव करे। जब भी व� िमले आप रोज स्क्र�न �म में जाइये और स्वयं को स्क�इंग करते ह�ए िनहा�रय
आपको बीच या दािहने स्क्र�न पर देखने क� ज�रत नहीं सीधे बांए स्क्र�न पर देिखय
आपका अगला कायर् अपने स्क�इंग के इस वीिडयो को एक केसेट में �रकॉडर् करना है। अब इस वीिडयो टेप
अपने सामने एक टेबल पर रखे "यूनीवसर् वीिडयो �रकॉडर" में डािलये और इस �रकॉिड�ग को पूरे संसार में �रले क
दीिजये। यह बह�त ज�री बात है। इससे आपके सभी लोग आपके भावी उद्देष्य के अवगत हो जायेंगे। इस
अचानक दूसरे लोग जो आपक� मदद करना चाहते है, आपके जीवन में आ जायेंगे। इसके बाद आप घर से बाह
िनकलें और नदी के िकनारे लौट आयें। सात तक िगनती करें और आत्मदशर्न के सत्र का स दे।
मैं जानता ह�ँ िक शु� में आपको यह सब समझ के परे क� बात लगेगी। लेिकनमुझ पर िव�ास क�िज, जल्दी ही
आपको इसके अच्छे प�रणाम देखने को िमलेंगे। यिद आपको िफर भी िव�ास नहीं है तो आप यह छोटी सी तकन
आजमा कर देिखये। मसलन एयरपोटर् या रेल्वे स्टेशन पर पािक�ग प्लेस के बारे में िवचार क�िजये या अपने िब
पाटर्नसर् के साथ मीिटंग के प�रणाम के बारे में सोिचये। यिद यह छोटा सा टोटका काम कर है तो कोई बड़ी बात
के बारे में कल्पना क�िजये। जब पूरा आत्मिव�ास हो जाये तब अपना भिवष्य संवारना शु� क�िज
एक बात का िवशेष ध्यान रिखये िक अंत हमेशा सबके िलए सुखद होना चािहये। अपने फायदे के िलए िकसी का
नुकसान नहीं होना चािहय।
निदया के दांये तट पर अपने मकान में क ुछ और कमरे बनवाइय
निदया के िकनारे िस्थत आपके ड्रीम हाउस में कुछ और कमरे भी बनवा सकते हैं। जैसे आप एक कमरा अपने
िवश्राम करने और �रलेक्सेशन के िलए बनवा सकते, जहाँ आप ददर् होने पर �रलेक्स होने के िलए जा सकते है
आप एक गो�ी के िलए बैठक बनवा सकते हैं। इस बैठक में आप महत्वपूणर् लोगोंको बुला सकते हैं और
अमूल्य राय ले सकते हैं। आप िकसी भी हस्ती को जैसे महात्मा ग, स्वामी िववेकानं, आइंस्टी, लोथर
हरनाइसे, डॉ. बुडिवग, प्रोफेसर अब्दुल कलाम और मदर टरेसा को बुलवा कर आ-सामने बैठ कर अपनी
समस्या के बारे में उनक� राय ले सकते हो
आप अपने सारे �रश्तेदारों और करीबी दोस्तों को बुलवा कर समारोह का आयोजन कर सकते हैं। सब लोग
आपके सामने कुिसर्यों पर बैठे होगे और आप मंच पर खड़े होकर अपनी स्क�इंग या अमरनाथ क� यात्रा के अन
को रोचक ढंग से बता रहे हैं। सारांश यह है िक कहानी कुछ भी हो आप स्वस्थ हैं और आपको स्वस्थ हा
सब देख रहे हैं। इसिलए ये सब भी आपको अपना सुखद भिवष्य बनाने में मदद करेंग
एक प्र� अक्सर पूछा जाता है निदया के दािहने िकनारे बने मकान में िकतनी बार जाना चािहये। वैसे तो कोई
िनि�त िनयम नहीं हैं। िफर भी इस बारे में लोथर यही कहते हैं िक जब भी व� िमले मकान में ज�र जाइये।
आपक� तकलीफ गंभीर है तो आपको िदन में कई बार जाना चािहये।
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आत्मदशर्न स्वास्थ्य में जबदर्स्त सकारात्मक प�रवतर्न लाता है। इसमें कोई खचार् नहीं होता है
100% काम करती है। इस तकनीक को आप गंभीर रोगों के उपचा, जीवन को खुशहाल बनाने या आिथर्क
सफलता पाने के िलए प्रयोग कर सकते हैं। इस िवधा से आप अपने भिवष्य को जैसा चाहो वैसा बना सकते ह