SlideShare une entreprise Scribd logo
1  sur  24
Télécharger pour lire hors ligne
हिन्दी परीयोजना कायय
विश्य
मिादेिी िमाय
लेख
रामकी
X
महादेवी वमाा
महादेवी वमाा (26 मार्य, 1907 — 11 सितंबर, 1987) हिन्दी की ििायधिक
प्रततभािान कितयत्रियों में िे िैं। िे हिन्दी िाहित्य में छायािादी युग के
र्ार प्रमुख स्तंभों में िे एक मानी जाती िैं। आिुतनक हिन्दी की िबिे
िशक्त कितयत्रियों में िे एक िोने के कारण उन्िें आिुतनक मीरा के नाम
िे भी जाना जाता िै। कवि तनराला ने उन्िें “हिन्दी के विशाल मन्न्दर की
िरस्िती” भी किा िै। मिादेिी ने स्ितंिता के पिले का भारत भी देखा
और उिके बाद का भी। िे उन कवियों में िे एक िैं न्जन्िोंने व्यापक
िमाज में काम करते िुए भारत के भीतर विद्यमान िािाकार, रुदन को
देखा, परखा और करुण िोकर अन्िकार को दूर करने िाली दृन्टि देने की
कोसशश की। उन्िोंने मन की पीडा को इतने स्नेि और शंगार िे िजाया
कक दीपसशखा में िि जन जन की पीडा के रूप में स्थावपत िुई और उिने
के िल पाठकों को िी निीं िमीक्षकों को भी गिराई तक प्रभावित ककया।
उन्िोंने अध्यापन िे अपने काययजीिन की शुरूआत की और अंततम िमय तक िे
प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रिानार्ायाय बनी रिीं। उनका बाल-वििाि िुआ परंतु
उन्िोंने अवििाहित की भांतत जीिन-यापन ककया। प्रततभािान कितयिी और गद्य
लेखखका मिादेिी िमाय िाहित्य और िंगीत में तनपुण िोने के िाथ िाथ कु शल
धर्िकार और िजनात्मक अनुिादक भी थीं। उन्िें हिन्दी िाहित्य के िभी
मित्त्िपूणय पुरस्कार प्राप्त करने का गौरि प्राप्त िै। भारत के िाहित्य आकाश में
मिादेिी िमाय का नाम ध्रुि तारे की भांतत प्रकाशमान िै। गत शताब्दी की
ििायधिक लोकवप्रय महिला िाहित्यकार के रूप में िे जीिन भर पूजनीय बनी
रिीं। िर्य 2007 उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया जा रिा िै।उन्िोंने खडी
बोली हिन्दी की कविता में उि कोमल शब्दािली का विकाि ककया जो अभी तक
के िल बजभार्ा में िी िंभि मानी जाती थी। इिके सलए उन्िोंने अपने िमय के
अनुकू ल िंस्कत और बांग्ला के कोमल शब्दों को र्ुनकर हिन्दी का जामा
पिनाया।
जन्म और पररवार
मिादेिी का जन्म 26 मार्य, 1907 को प्रातः 8 बजे फ़रुयखाबाद उत्तर प्रदेश,
भारत में िुआ। उनके पररिार में लगभग 200 िर्ों या िात पीह़ियों के
बाद पिली बार पुिी का जन्म िुआ था। अतः बाबा बाबू बााँके वििारी जी
िर्य िे झूम उठे और इन्िें घर की देिी — मिादेिी मानते िुए पुिी का
नाम मिादेिी रखा। उनके वपता श्री गोविंद प्रिाद िमाय भागलपुर के एक
कॉलेज में प्राध्यापक थे। उनकी माता का नाम िेमरानी देिी था। िेमरानी
देिी बडी िमय परायण, कमयतनटठ, भािुक महिला थीं। मिादेिी के वपता
गोविन्द प्रिाद िमाय िुन्दर, विद्िान, िंगीत प्रेमी, नान्स्तक, सशकार करने
एिं घूमने के शौकीन, िाँिमुख व्यन्क्त थे।
शिक्षा
मिादेिी जी की सशक्षा इंदौर में समशन स्कू ल िे प्रारम्भ िुई िाथ िी िंस्कत,
अंग्रेजी, िंगीत तथा धर्िकला की सशक्षा अध्यापकों द्िारा घर पर िी दी जाती
रिी। वििािोपरान्त मिादेिी जी ने 1919 में क्रास्थिेि कॉलेज इलािाबाद में प्रिेश
सलया और कॉलेज के छािािाि में रिने लगीं। 1921 में मिादेिी जी ने आठिीं
कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त ककया। यिीं पर उन्िोंने अपने काव्य
जीिन की शुरुआत की। िे िात िर्य की अिस्था िे िी कविता सलखने लगी थीं
और 1925 तक जब उन्िोंने मैहिक की परीक्षा उत्तीणय की, िे एक िफल कितयिी
के रूप में प्रसिद्ि िो र्ुकी थीं। कालेज में िुभद्रा कु मारी र्ौिान के िाथ उनकी
घतनटठ समिता िो गई। िुभद्रा कु मारी र्ौिान मिादेिी जी का िाथ पकड कर
िखखयों के बीर् में ले जाती और कितीं ― “िुनो, ये कविता भी सलखती िैं”।
1932 में जब उन्िोंने इलािाबाद विश्िविद्यालय िे िंस्कत में एम.ए. पाि ककया
तब तक उनके दो कविता िंग्रि नीिार तथा रन्श्म प्रकासशत िो र्ुके थे। िन्
1916 में उनके बाबा श्री बााँके वििारी ने इनका वििाि बरेली के पाि नबाि गंज
कस्बे के तनिािी श्री स्िरूप नारायण िमाय िे कर हदया, जो उि िमय दििीं
कक्षा के विद्याथी थे।
कार्ाक्षेत्र
मिादेिी का काययक्षेि लेखन, िंपादन और अध्यापन रिा। उन्िोंने इलािाबाद
में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकाि में मित्िपूणय योगदान ककया।
इिकी िे प्रिानार्ायय एिं कु लपतत भी रिीं। 1932 में उन्िोंने महिलाओं
की प्रमुख पत्रिका ‘र्ााँद’ का काययभार िंभाला। 1930 में नीिार, 1932 में
रन्श्म, 1934 में नीरजा, तथा 1936 में िांध्यगीत नामक उनके र्ार
कविता िंग्रि प्रकासशत िुए। 1939 में इन र्ारों काव्य िंग्रिों को उनकी
कलाकततयों के िाथ ििदाकार में यामा शीर्यक िे प्रकासशत ककया गया।
उन्िोंने गद्य, काव्य, सशक्षा और धर्िकला िभी क्षेिों में नए आयाम
स्थावपत ककये। इिके अततररक्त उनकी 18 काव्य और गद्य कततयां िैं
न्जनमें मेरा पररिार, स्मतत की रेखाएं, पथ के िाथी, शंखला की कडडयााँ
और अतीत के र्लधर्ि प्रमुख िैं। िन 1955 में मिादेिी जी ने
इलािाबाद में िाहित्यकार िंिद की स्थापना की और पं इलार्ंद्र जोशी के
िियोग िे िाहित्यकार का िंपादन िंभाला। यि इि िंस्था का मुखपि
था। उन्िोंने भारत में महिला कवि िम्मेलनों की नीि रखी।
इि प्रकार का पिला अखखल भारतिर्ीय कवि िम्मेलन 15 अप्रैल 1933 को िुभद्रा
कु मारी र्ौिान की अध्यक्षता में प्रयाग महिला विद्यापीठ में िंपन्न िुआ। िे
हिंदी िाहित्य में रिस्याद की प्रिततयका भी मानी जाती िैं। मिादेिी बौद्ि िमय िे
बिुत प्रभावित थीं। मिात्मा गांिी के प्रभाि िे उन्िोंने जनिेिा का व्रत लेकर
झूिी में कायय ककया और भारतीय स्ितंिता िंग्राम में भी हिस्िा सलया। 1936
में नैनीताल िे 25 ककलोमीिर दूर रामग़ि किबे के उमाग़ि नामक गााँि में
मिादेिी िमाय ने एक बाँगला बनिाया था। न्जिका नाम उन्िोंने मीरा मंहदर रखा
था। न्जतने हदन िे यिााँ रिीं इि छोिे िे गााँि की सशक्षा और विकाि के सलए
काम करती रिीं। विशेर् रूप िे महिलाओं की सशक्षा और उनकी आधथयक
आत्मतनभयरता के सलए उन्िोंने बिुत काम ककया। आजकल इि बंगले को मिादेिी
िाहित्य िंग्रिालय के नाम िे जाना जाता िै। शंखला की कडडयााँ में न्स्ियों की
मुन्क्त और विकाि के सलए उन्िोंने न्जि िािि ि दृ़िता िे आिाज उठाई िैं
और न्जि प्रकार िामान्जक रूह़ियों की तनंदा की िै उििे उन्िें महिला मुन्क्तिादी
भी किा गया। महिलाओं ि सशक्षा के विकाि के कायों और जनिेिा के कारण
उन्िें िमाज-िुिारक भी किा गया िै।[१६] उनके िंपूणय गद्य िाहित्य में पीडा या
िेदना के किीं दशयन निीं िोते बन्कक अदम्य रर्नात्मक रोर् िमाज में बदलाि
की अदम्य आकांक्षा और विकाि के प्रतत ििज लगाि पररलक्षक्षत िोता िै। उन्िोंने
अपने जीिन का अधिकांश िमय उत्तर प्रदेश के इलािाबाद नगर में त्रबताया। 11
सितंबर, 1987 को इलािाबाद में रात 9 बजकर 30 समनि पर उनका देिांत िो
गया।
कववता संग्रह
1. नीिार (1930)
2. रन्श्म (1932)
3. नीरजा (1934)
4. िांध्यगीत (1936)
5. दीपसशखा (1942)
6. िप्तपणाय (अनूहदत-1959)
7. प्रथम आयाम (1974)
8. अन्ग्नरेखा (1990)
श्रीमती मिादेिी िमाय के अन्य अनेक काव्य िंकलन भी प्रकासशत िैं, न्जनमें उपयुयक्त
रर्नाओं में िे र्ुने िुए गीत िंकसलत ककये गये िैं, जैिे आन्त्मका, पररक्रमा, िन्न्िनी
(1965), यामा (1936), गीतपिय, दीपगीत, स्माररका, नीलांबरा और आिुतनक कवि
मिादेिी आहद।
अन्य तनबंि में िंकन्कपता तथा विविि िंकलनों में स्माररका, स्मतत धर्ि, िंभार्ण, िंर्यन,
दृन्टिबोि उकलेखनीय िैं। िे अपने िमय की लोकवप्रय पत्रिका ‘र्ााँद’ तथा ‘िाहित्यकार’
मासिक की भी िंपादक रिीं। हिन्दी के प्रर्ार-प्रिार के सलए उन्िोंने प्रयाग में
‘िाहित्यकार िंिद’ और रंगिाणी नाट्य िंस्था की भी स्थापना की।
महादेवी वमाा का गद्र् साहहत्र्
रेखाचित्र: अतीत के र्लधर्ि (1941) और स्मतत की रेखाएं (1943),
संस्मरण: पथ के िाथी (1956) और मेरा पररिार (1972 और िंस्मरण
(1983))
िुने हुए भाषणों का संकलन: िंभार्ण (1974)
ननबंध: शंखला की कडडयााँ (1942), वििेर्नात्मक गद्य (1942),
िाहित्यकार की आस्था तथा अन्य तनबंि (1962), िंकन्कपता (1969)
लशलत ननबंध: क्षणदा (1956)
कहाननर्ााँ: धगकलू
संस्मरण, रेखाचित्र और ननबंधों का संग्रह: हिमालय (1963),
महादेवी वमाा का बाल साहहत्र्
मिादेिी िमाय की बाल कविताओं के दो िंकलन छपे िैं।
(i) ठाकु रजी भोले िैं
(ii) आज खरीदेंगे िम ज्िाला
समालोिना
आिुतनक गीत काव्य में मिादेिी जी का स्थान ििोपरर िै। उनकी
कविता में प्रेम की पीर और भािों की तीव्रता ितयमान िोने के
कारण भाि, भार्ा और िंगीत की जैिी त्रििेणी उनके गीतों में
प्रिाहित िोती िै िैिी अन्यि दुलयभ िै। मिादेिी के गीतों की
िेदना, प्रणयानुभूतत, करुणा और रिस्यिाद काव्यानुराधगयों को
आकवर्यत करते िैं। पर इन रर्नाओं की विरोिी आलोर्नाएाँ
िामान्य पाठक को हदग्रसमत करती िैं। आलोर्कों का एक िगय
िि िै, जो यि मानकर र्लते िैं कक मिादेिी का काव्य तनतान्त
िैयन्क्तक िै। उनकी पीडा, िेदना, करुणा, कत्रिम और बनाििी
िै।
आर्ायय रामर्ंद्र शुक्ल जैिे मूियन्य आलोर्कों ने उनकी िेदना और
अनुभूततयों की िच्र्ाई पर प्रश्न धर्ह्न लगाया िै|
यि िर् िै कक मिादेिी का काव्य िंिार छायािाद की पररधि
में आता िै, पर उनके काव्य को उनके युग िे एकदम
अिम्पक्त करके देखना, उनके िाथ अन्याय करना िोगा।
मिादेिी एक िजग रर्नाकार िैं। बंगाल के अकाल के िमय
1943 में इन्िोंने एक काव्य िंकलन प्रकासशत ककया था
और बंगाल िे िम्बंधित “बंग भू शत िंदना” नामक कविता
भी सलखी थी। इिी प्रकार र्ीन के आक्रमण के प्रततिाद में
हिमालय नामक काव्य िंग्रि का िंपादन ककया था। यि
िंकलन उनके युगबोि का प्रमाण िै।
उन्िोंने धर्िकला का काम अधिक निीं ककया कफर भी जलरंगों
में ‘िॉश’ शैली िे बनाए गए उनके धर्ि िुंिले रंगों और
लयपूणय रेखाओं का कारण कला के िुंदर नमूने िमझे जाते
िैं। उन्िोंने रेखाधर्ि भी बनाए िैं। उनके अपने कविता िंग्रिों
यामा और दीपसशखा में उनके रंगीन धर्िों और रेखांकनों को
देखा जा िकता िै।
प्रमुख कृ नतर्ााँ
पन्थ तुम्हारा मंगलमर् हो। महादेवी के हस्ताक्षर
महादेवी वमाा की प्रमुख गद्र्
रिनाएाँ 
पुरस्कार ि िम्मान
उन्िें प्रशाितनक, अियप्रशाितनक और व्यन्क्तगत िभी िंस्थाओँ िे पुरस्कार ि िम्मान समले।
1943 में उन्िें ‘मंगलाप्रिाद पाररतोवर्क’ एिं ‘भारत भारती’ पुरस्कार िे िम्मातनत ककया
गया। 1956 में भारत िरकार ने उनकी िाहिन्त्यक िेिा के सलये ‘पद्म भूर्ण’ की उपाधि
दी। 1979 में िाहित्य अकादमी की िदस्यता ग्रिण करने िाली िे पिली महिला थीं।
1988 में उन्िें मरणोपरांत भारत िरकार की पद्म विभूर्ण उपाधि िे िम्मातनत ककया
गया।
िन 1969 में विक्रम विश्िविद्यालय, 1977 में कु माऊं विश्िविद्यालय, नैनीताल, 1980 में
हदकली विश्िविद्यालय तथा 1984 में बनारि हिंदू विश्िविद्यालय, िाराणिी ने उन्िें
डी.सलि की उपाधि िे िम्मातनत ककया।
इििे पूिय मिादेिी िमाय को ‘नीरजा’ के सलये 1934 में ‘िक्िेररया पुरस्कार’, 1942 में ‘स्मतत
की रेखाएाँ’ के सलये ‘द्वििेदी पदक’ प्राप्त िुए। ‘यामा’ नामक काव्य िंकलन के सलये उन्िें
भारत का ििोच्र् िाहिन्त्यक िम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्राप्त िुआ। िे भारत की 50
िबिे यशस्िी महिलाओं में भी शासमल िैं।
1968 में िुप्रसिद्ि भारतीय कफ़कमकार मणाल िेन ने उनके िंस्मरण ‘िि र्ीनी भाई’ पर
एक बांग्ला कफ़कम का तनमायण ककया था न्जिका नाम था नील आकाशेर नीर्े।
महादेवी — मागारेट थैिर से ज्ञानपीठ पुरस्कार लेते हुए|

डाकहटकट 
महादेवी वमाा का र्ोगदान
िाहित्य में मिादेिी िमाय का आविभायि उि िमय िुआ जब
खडी बोली का आकार पररटकत िो रिा था। उन्िोंने हिन्दी
कविता को बजभार्ा की कोमलता दी, छंदों के नए दौर को
गीतों का भंडार हदया और भारतीय दशयन को िेदना की
िाहदयक स्िीकतत दी। इि प्रकार उन्िोंने भार्ा िाहित्य और
दशयन तीनों क्षेिों में ऐिा मित्िपूणय काम ककया न्जिने
आनेिाली एक पूरी पीढी को प्रभावित ककया। शर्ीरानी गुिूय
ने भी उनकी कविता को िुिन्ज्तत भार्ा का अनुपम
उदािरण माना िै। उन्िोंने अपने गीतों की रर्ना शैली और
भार्ा में अनोखी लय और िरलता भरी िै, िाथ िी प्रतीकों
और त्रबंबों का ऐिा िुंदर और स्िाभाविक प्रयोग ककया िै
जो पाठक के मन में धर्ि िा खींर् देता िै। छायािादी
काव्य की िमद्धि में उनका योगदान अत्यंत मित्िपूणय िै।
यद्यवप मिादेिी ने कोई उपन्याि, किानी या नािक निीं सलखा तो भी उनके लेख,
तनबंि, रेखाधर्ि, िंस्मरण, भूसमकाओं और लसलत तनबंिों में जो गद्य सलखा िै
िि श्रेटठतम गद्य का उत्कटि उदािरण िै। उिमें जीिन का िंपूणय िैविध्य
िमाया िै। त्रबना ककपना और काव्यरूपों का ििारा सलए कोई रर्नाकार गद्य में
ककतना कु छ अन्जयत कर िकता िै, यि मिादेिी को प़िकर िी जाना जा िकता
िै। उनके गद्य में िैर्ाररक पररपक्िता इतनी िै कक िि आज भी प्रािंधगक िै।
िमाज िुिार और नारी स्ितंिता िे िंबंधित उनके विर्ारों में दृ़िता और विकाि
का अनुपम िामंजस्य समलता िै। िामान्जक जीिन की गिरी परतों को छू ने
िाली इतनी तीव्र दृन्टि, नारी जीिन के िैर्म्य और शोर्ण को तीखेपन िे आंकने
िाली इतनी जागरूक प्रततभा और तनम्न िगय के तनरीि, िािनिीन प्राखणयों के
अनूठे धर्ि उन्िोंने िी पिली बार हिंदी िाहित्य को हदए।
मौसलक रर्नाकार के अलािा उनका एक रूप िजनात्मक अनुिादक का भी िै न्जिके
दशयन उनकी अनुिाद-कत ‘िप्तपणाय’ (1960) में िोते िैं। अपनी िांस्कततक
र्ेतना के ििारे उन्िोंने िेद, रामायण, थेरगाथा तथा अश्िघोर्, कासलदाि,
भिभूतत एिं जयदेि की कततयों िे तादात्म्य स्थावपत करके 39 र्यतनत
मित्िपूणय अंशों का हिन्दी काव्यानुिाद इि कतत में प्रस्तुत ककया िै। आरंभ में
61 पटठीय ‘अपनी बात’ में उन्िोंने भारतीय मनीर्ा और िाहित्य की इि अमूकय
िरोिर के िंबंि में गिन शोिपूणय विमर्य ककया िै जो के िल स्िी-लेखन को िी
निीं हिंदी के िमग्र धर्ंतनपरक और लसलत लेखन को िमद्ि करता िै।
मिादेिी िमाय के कविता
तुम मुझ्मे वप्रर् ! फ़िर पररच्र् क्र्ा
तुम मुझ्मे वप्रय ! कफ़र पररच्य क्या
ताकय मे छवि, प्राणों में स्रुतत
पलकों में नीरि पद की गतत
लघु उर में पुलकों की िंितत
भर लाई िूाँ तेरी र्ंच्ल
ऒर करूाँ ज्ग में िंच्य क्या !
तेरा मुख शि अरुणोदय
परछाई रजनी विर्ादमय
िि जागतत िि नींद स्व्प्नमय
खेकखेल थ्क्क्थ्क्क िोने दे
में िमझूाँगी िन्टि प्रलय क्या !
वप्रय ! िान्ध्य गगन
वप्रय ! िान्ध्य गगन
मेरा जीिन !
यि क्षक्षततज बना िुाँिला विराग,
नि अरूण अरूण मेरा िुिाग,
छाया िी काया िीतराग,
िुधिभीने स्व्प्न राँगीले घ्न !
िािों का आज िुन्िलाप्न,
तघरता विर्ाद का ततसमर िघन,
िन्िया का न्भ िे मूक समलन,
यि अश्रुम्ती िाँस्ती धर्त्व्न !
फ़िर ववक्ल हैं प्राण मेरे !
कफ़र विक्ल िैं प्राण मेरे !
तोड दो यि क्षक्षततज मैं भी
देख लूं उि ओर क्या िै !
जा रिे न्जि पंथ िे युग
क्कप उस्क छोर क्या िै ?
क्यों मुझे प्रार्ीर ब्न कर
आज मेरे श्र्िाि घेरे ?
सिन्िु की तनःिीम्ता पर कघु
किर का लाि कै िा ?
दीप कघु सशर पर िरे
आलोक का आकाश कै िा !
दे रिी मेरी धर्रन्तन्ता
क्ष्णों के िाथ फ़े रे !
नतशमर में वे पदचिह्न शमले
!
ततसमर में िे पदधर्ह्न समले !
युग – युग क पंथी अकु ल
मन,
बााँि रिा प्थ के रजक्ण र्ुन ;
श्र्िािों में रूाँ िे दुख के पल
ब्न ब्न दीप च्ले !
अन्कित तन में, विघुत-िी
भर,
िर ब्न्ते मेरे श्र्म-िीकर;
एक एक आाँिू में शत शत
शत्द्ल-स्व्प्न खखले !
िजतन वप्रय के पदधर्ह्न
समले !
तब क्ष्ण क्ष्ण म्धु-प्र्ाले होंगे !
त्ब क्ष्ण क्ष्न म्िु-प्याले िोंगे !
ज्ब दूर देश उड जाने को
ह्ग-ख्जज्न म्त्िाले िोंगे !
दे आाँिू-ज्ल स्मतत के कघुक्ण,
मैंने उर-वपंजर में उन्म्न,
अप्ना आकु ल मन बिलाने
िुख-दुख के ख्जग पाले िोंगे !
ज्ब मेरे शूलों पर शत शत,
मिु के युग िोंगे अन्व्कम्बत,
मेरे क्र्नन्दन िे अत्प के -
हदन सिव्न िररयाले िोंगे !
िन्यिाद
मुझे र्फ़कन हे की आपको र्ह प्रेसेनटेिन पसन्द
आर्ा और आप को महादेवी वमाा के जीवन
अच्छी तरह समज आर्ा|
िन्यिाद

Contenu connexe

Tendances

Poets and pancakes
Poets and pancakesPoets and pancakes
Poets and pancakesJude Joseph
 
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khan
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khanMarketing management project on hair oil class 12th by faizan khan
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khanFaizan Khan
 
Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)
 Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered) Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)
Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)Bhavya Namdeo
 
Ncert books class 9 hindi
Ncert books class 9 hindiNcert books class 9 hindi
Ncert books class 9 hindiSonam Sharma
 
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9HrithikSinghvi
 
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy Project
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy ProjectSolved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy Project
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy ProjectDan John
 
समृति class 9 sanchayan with images and writer details
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsसमृति class 9 sanchayan with images and writer details
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsAyush kumar
 
business project work-stock exchange-12th class
 business project work-stock exchange-12th class business project work-stock exchange-12th class
business project work-stock exchange-12th classRavi Singh
 
Biography of Kamala Das
Biography of Kamala DasBiography of Kamala Das
Biography of Kamala DasDaya Vaghani
 
The Last Lesson - Alphonse Daudet
The Last Lesson - Alphonse DaudetThe Last Lesson - Alphonse Daudet
The Last Lesson - Alphonse DaudetJude Joseph
 
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)Himanshu Mishra
 
Last lesson ppt by abhay das
Last lesson ppt by abhay dasLast lesson ppt by abhay das
Last lesson ppt by abhay dasAbhay Das
 
class 12 History Theme 4
class 12 History Theme 4class 12 History Theme 4
class 12 History Theme 4mohitakamra
 
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...@Jagjeet_patel
 

Tendances (20)

Poets and pancakes
Poets and pancakesPoets and pancakes
Poets and pancakes
 
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khan
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khanMarketing management project on hair oil class 12th by faizan khan
Marketing management project on hair oil class 12th by faizan khan
 
Lost spring ppt
Lost spring pptLost spring ppt
Lost spring ppt
 
Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)
 Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered) Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)
Accountancy class 12 comprehensive project (all 3 projects covered)
 
Ncert books class 9 hindi
Ncert books class 9 hindiNcert books class 9 hindi
Ncert books class 9 hindi
 
Meera bhai
Meera bhaiMeera bhai
Meera bhai
 
kabir das
kabir daskabir das
kabir das
 
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9
Vygyanic Chetana Ke Vahak Sir Chandra Shekhar Venkat Ramamn (CV Raman) Class 9
 
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy Project
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy ProjectSolved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy Project
Solved Comprehensive Project Cbse Class 12 Accountancy Project
 
समृति class 9 sanchayan with images and writer details
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsसमृति class 9 sanchayan with images and writer details
समृति class 9 sanchayan with images and writer details
 
business project work-stock exchange-12th class
 business project work-stock exchange-12th class business project work-stock exchange-12th class
business project work-stock exchange-12th class
 
Biography of Kamala Das
Biography of Kamala DasBiography of Kamala Das
Biography of Kamala Das
 
The Last Lesson - Alphonse Daudet
The Last Lesson - Alphonse DaudetThe Last Lesson - Alphonse Daudet
The Last Lesson - Alphonse Daudet
 
Indigo
Indigo Indigo
Indigo
 
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)
Accountancy 12th class project work(Both Comprehensive and specific)
 
Kabir
KabirKabir
Kabir
 
Last lesson ppt by abhay das
Last lesson ppt by abhay dasLast lesson ppt by abhay das
Last lesson ppt by abhay das
 
On the face of it Std 12
On the face of it  Std 12On the face of it  Std 12
On the face of it Std 12
 
class 12 History Theme 4
class 12 History Theme 4class 12 History Theme 4
class 12 History Theme 4
 
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...
class 11th & 12th Business studies project CBSE BOARD Case Study on Jio Digit...
 

Similaire à Mahadevi Varma in hindi

Mahadevi varma in hindi report
Mahadevi varma in hindi reportMahadevi varma in hindi report
Mahadevi varma in hindi reportRamki M
 
ramdhari sinh dinkar
ramdhari sinh dinkarramdhari sinh dinkar
ramdhari sinh dinkarrazeen001
 
महादेवि वेर्मा
महादेवि वेर्मा महादेवि वेर्मा
महादेवि वेर्मा aditya singh
 
हिंदी के महान लेखक.pptx
हिंदी के महान लेखक.pptxहिंदी के महान लेखक.pptx
हिंदी के महान लेखक.pptxNisha Yadav
 
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptx
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptxभारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptx
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptxUdhavBhandare
 
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxकला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxsuchoritabhandari
 
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdfVikasVikas97
 
हिन्दु
हिन्दुहिन्दु
हिन्दुchikitsak
 
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdf
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdfभीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdf
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdfSoulvedaHindi
 
Bismillah Khan
Bismillah KhanBismillah Khan
Bismillah KhanRoyB
 
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptx
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptxप्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptx
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptxUdhavBhandare
 
नौबतखाने में इबादत
नौबतखाने में इबादतनौबतखाने में इबादत
नौबतखाने में इबादतpriya dharshini
 
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfEmailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfBittuJii1
 

Similaire à Mahadevi Varma in hindi (20)

Mahadevi varma in hindi report
Mahadevi varma in hindi reportMahadevi varma in hindi report
Mahadevi varma in hindi report
 
ramdhari sinh dinkar
ramdhari sinh dinkarramdhari sinh dinkar
ramdhari sinh dinkar
 
महादेवि वेर्मा
महादेवि वेर्मा महादेवि वेर्मा
महादेवि वेर्मा
 
Aditya hindi
Aditya hindiAditya hindi
Aditya hindi
 
Aditya hindi
Aditya hindiAditya hindi
Aditya hindi
 
Aditya hindi
Aditya hindiAditya hindi
Aditya hindi
 
Hindi presentation.pptx
Hindi presentation.pptxHindi presentation.pptx
Hindi presentation.pptx
 
हिंदी के महान लेखक.pptx
हिंदी के महान लेखक.pptxहिंदी के महान लेखक.pptx
हिंदी के महान लेखक.pptx
 
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptx
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptxभारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptx
भारतेन्दु कालीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.pptx
 
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxकला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
 
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf
1704 Prof Ramesh vasuniya ppt.pdf
 
Hindi ppt
Hindi pptHindi ppt
Hindi ppt
 
Bahd 06-block-04 (1)
Bahd 06-block-04 (1)Bahd 06-block-04 (1)
Bahd 06-block-04 (1)
 
हिन्दु
हिन्दुहिन्दु
हिन्दु
 
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdf
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdfभीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdf
भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं.pdf
 
Bismillah Khan
Bismillah KhanBismillah Khan
Bismillah Khan
 
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptx
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptxप्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptx
प्रश्न 1. सूफी काव्य की विशेषताएँ को स्पस्ट् कीजिए.pptx
 
नौबतखाने में इबादत
नौबतखाने में इबादतनौबतखाने में इबादत
नौबतखाने में इबादत
 
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfEmailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
 
Sangatkar ppt
Sangatkar  pptSangatkar  ppt
Sangatkar ppt
 

Plus de Ramki M

Weapons used by french army
Weapons used by french armyWeapons used by french army
Weapons used by french armyRamki M
 
Stephen hawking report
Stephen hawking reportStephen hawking report
Stephen hawking reportRamki M
 
Technology
TechnologyTechnology
TechnologyRamki M
 
Titan tank
Titan tankTitan tank
Titan tankRamki M
 
Social media
Social mediaSocial media
Social mediaRamki M
 
Snappy surprises
Snappy surprisesSnappy surprises
Snappy surprisesRamki M
 
Snappy surprises story summaries
Snappy surprises story summariesSnappy surprises story summaries
Snappy surprises story summariesRamki M
 
Social awareness Hindi essay
Social awareness Hindi essaySocial awareness Hindi essay
Social awareness Hindi essayRamki M
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and TechnologyRamki M
 
Robotics
RoboticsRobotics
RoboticsRamki M
 
Robots and Technology
Robots and TechnologyRobots and Technology
Robots and TechnologyRamki M
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and TechnologyRamki M
 
Robotics
RoboticsRobotics
RoboticsRamki M
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and TechnologyRamki M
 
Robotics
RoboticsRobotics
RoboticsRamki M
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and TechnologyRamki M
 
Real numbers
Real numbersReal numbers
Real numbersRamki M
 
Real numbers
Real numbersReal numbers
Real numbersRamki M
 
Pen & ink technique paintings
Pen & ink technique paintingsPen & ink technique paintings
Pen & ink technique paintingsRamki M
 
Ramakrishna paramahamsar in Hindi
Ramakrishna paramahamsar in HindiRamakrishna paramahamsar in Hindi
Ramakrishna paramahamsar in HindiRamki M
 

Plus de Ramki M (20)

Weapons used by french army
Weapons used by french armyWeapons used by french army
Weapons used by french army
 
Stephen hawking report
Stephen hawking reportStephen hawking report
Stephen hawking report
 
Technology
TechnologyTechnology
Technology
 
Titan tank
Titan tankTitan tank
Titan tank
 
Social media
Social mediaSocial media
Social media
 
Snappy surprises
Snappy surprisesSnappy surprises
Snappy surprises
 
Snappy surprises story summaries
Snappy surprises story summariesSnappy surprises story summaries
Snappy surprises story summaries
 
Social awareness Hindi essay
Social awareness Hindi essaySocial awareness Hindi essay
Social awareness Hindi essay
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and Technology
 
Robotics
RoboticsRobotics
Robotics
 
Robots and Technology
Robots and TechnologyRobots and Technology
Robots and Technology
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and Technology
 
Robotics
RoboticsRobotics
Robotics
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and Technology
 
Robotics
RoboticsRobotics
Robotics
 
Robotics and Technology
Robotics and TechnologyRobotics and Technology
Robotics and Technology
 
Real numbers
Real numbersReal numbers
Real numbers
 
Real numbers
Real numbersReal numbers
Real numbers
 
Pen & ink technique paintings
Pen & ink technique paintingsPen & ink technique paintings
Pen & ink technique paintings
 
Ramakrishna paramahamsar in Hindi
Ramakrishna paramahamsar in HindiRamakrishna paramahamsar in Hindi
Ramakrishna paramahamsar in Hindi
 

Mahadevi Varma in hindi

  • 2.
  • 3. महादेवी वमाा महादेवी वमाा (26 मार्य, 1907 — 11 सितंबर, 1987) हिन्दी की ििायधिक प्रततभािान कितयत्रियों में िे िैं। िे हिन्दी िाहित्य में छायािादी युग के र्ार प्रमुख स्तंभों में िे एक मानी जाती िैं। आिुतनक हिन्दी की िबिे िशक्त कितयत्रियों में िे एक िोने के कारण उन्िें आिुतनक मीरा के नाम िे भी जाना जाता िै। कवि तनराला ने उन्िें “हिन्दी के विशाल मन्न्दर की िरस्िती” भी किा िै। मिादेिी ने स्ितंिता के पिले का भारत भी देखा और उिके बाद का भी। िे उन कवियों में िे एक िैं न्जन्िोंने व्यापक िमाज में काम करते िुए भारत के भीतर विद्यमान िािाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण िोकर अन्िकार को दूर करने िाली दृन्टि देने की कोसशश की। उन्िोंने मन की पीडा को इतने स्नेि और शंगार िे िजाया कक दीपसशखा में िि जन जन की पीडा के रूप में स्थावपत िुई और उिने के िल पाठकों को िी निीं िमीक्षकों को भी गिराई तक प्रभावित ककया।
  • 4. उन्िोंने अध्यापन िे अपने काययजीिन की शुरूआत की और अंततम िमय तक िे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रिानार्ायाय बनी रिीं। उनका बाल-वििाि िुआ परंतु उन्िोंने अवििाहित की भांतत जीिन-यापन ककया। प्रततभािान कितयिी और गद्य लेखखका मिादेिी िमाय िाहित्य और िंगीत में तनपुण िोने के िाथ िाथ कु शल धर्िकार और िजनात्मक अनुिादक भी थीं। उन्िें हिन्दी िाहित्य के िभी मित्त्िपूणय पुरस्कार प्राप्त करने का गौरि प्राप्त िै। भारत के िाहित्य आकाश में मिादेिी िमाय का नाम ध्रुि तारे की भांतत प्रकाशमान िै। गत शताब्दी की ििायधिक लोकवप्रय महिला िाहित्यकार के रूप में िे जीिन भर पूजनीय बनी रिीं। िर्य 2007 उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया जा रिा िै।उन्िोंने खडी बोली हिन्दी की कविता में उि कोमल शब्दािली का विकाि ककया जो अभी तक के िल बजभार्ा में िी िंभि मानी जाती थी। इिके सलए उन्िोंने अपने िमय के अनुकू ल िंस्कत और बांग्ला के कोमल शब्दों को र्ुनकर हिन्दी का जामा पिनाया।
  • 5. जन्म और पररवार मिादेिी का जन्म 26 मार्य, 1907 को प्रातः 8 बजे फ़रुयखाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में िुआ। उनके पररिार में लगभग 200 िर्ों या िात पीह़ियों के बाद पिली बार पुिी का जन्म िुआ था। अतः बाबा बाबू बााँके वििारी जी िर्य िे झूम उठे और इन्िें घर की देिी — मिादेिी मानते िुए पुिी का नाम मिादेिी रखा। उनके वपता श्री गोविंद प्रिाद िमाय भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। उनकी माता का नाम िेमरानी देिी था। िेमरानी देिी बडी िमय परायण, कमयतनटठ, भािुक महिला थीं। मिादेिी के वपता गोविन्द प्रिाद िमाय िुन्दर, विद्िान, िंगीत प्रेमी, नान्स्तक, सशकार करने एिं घूमने के शौकीन, िाँिमुख व्यन्क्त थे।
  • 6. शिक्षा मिादेिी जी की सशक्षा इंदौर में समशन स्कू ल िे प्रारम्भ िुई िाथ िी िंस्कत, अंग्रेजी, िंगीत तथा धर्िकला की सशक्षा अध्यापकों द्िारा घर पर िी दी जाती रिी। वििािोपरान्त मिादेिी जी ने 1919 में क्रास्थिेि कॉलेज इलािाबाद में प्रिेश सलया और कॉलेज के छािािाि में रिने लगीं। 1921 में मिादेिी जी ने आठिीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त ककया। यिीं पर उन्िोंने अपने काव्य जीिन की शुरुआत की। िे िात िर्य की अिस्था िे िी कविता सलखने लगी थीं और 1925 तक जब उन्िोंने मैहिक की परीक्षा उत्तीणय की, िे एक िफल कितयिी के रूप में प्रसिद्ि िो र्ुकी थीं। कालेज में िुभद्रा कु मारी र्ौिान के िाथ उनकी घतनटठ समिता िो गई। िुभद्रा कु मारी र्ौिान मिादेिी जी का िाथ पकड कर िखखयों के बीर् में ले जाती और कितीं ― “िुनो, ये कविता भी सलखती िैं”। 1932 में जब उन्िोंने इलािाबाद विश्िविद्यालय िे िंस्कत में एम.ए. पाि ककया तब तक उनके दो कविता िंग्रि नीिार तथा रन्श्म प्रकासशत िो र्ुके थे। िन् 1916 में उनके बाबा श्री बााँके वििारी ने इनका वििाि बरेली के पाि नबाि गंज कस्बे के तनिािी श्री स्िरूप नारायण िमाय िे कर हदया, जो उि िमय दििीं कक्षा के विद्याथी थे।
  • 7. कार्ाक्षेत्र मिादेिी का काययक्षेि लेखन, िंपादन और अध्यापन रिा। उन्िोंने इलािाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकाि में मित्िपूणय योगदान ककया। इिकी िे प्रिानार्ायय एिं कु लपतत भी रिीं। 1932 में उन्िोंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका ‘र्ााँद’ का काययभार िंभाला। 1930 में नीिार, 1932 में रन्श्म, 1934 में नीरजा, तथा 1936 में िांध्यगीत नामक उनके र्ार कविता िंग्रि प्रकासशत िुए। 1939 में इन र्ारों काव्य िंग्रिों को उनकी कलाकततयों के िाथ ििदाकार में यामा शीर्यक िे प्रकासशत ककया गया। उन्िोंने गद्य, काव्य, सशक्षा और धर्िकला िभी क्षेिों में नए आयाम स्थावपत ककये। इिके अततररक्त उनकी 18 काव्य और गद्य कततयां िैं न्जनमें मेरा पररिार, स्मतत की रेखाएं, पथ के िाथी, शंखला की कडडयााँ और अतीत के र्लधर्ि प्रमुख िैं। िन 1955 में मिादेिी जी ने इलािाबाद में िाहित्यकार िंिद की स्थापना की और पं इलार्ंद्र जोशी के िियोग िे िाहित्यकार का िंपादन िंभाला। यि इि िंस्था का मुखपि था। उन्िोंने भारत में महिला कवि िम्मेलनों की नीि रखी।
  • 8. इि प्रकार का पिला अखखल भारतिर्ीय कवि िम्मेलन 15 अप्रैल 1933 को िुभद्रा कु मारी र्ौिान की अध्यक्षता में प्रयाग महिला विद्यापीठ में िंपन्न िुआ। िे हिंदी िाहित्य में रिस्याद की प्रिततयका भी मानी जाती िैं। मिादेिी बौद्ि िमय िे बिुत प्रभावित थीं। मिात्मा गांिी के प्रभाि िे उन्िोंने जनिेिा का व्रत लेकर झूिी में कायय ककया और भारतीय स्ितंिता िंग्राम में भी हिस्िा सलया। 1936 में नैनीताल िे 25 ककलोमीिर दूर रामग़ि किबे के उमाग़ि नामक गााँि में मिादेिी िमाय ने एक बाँगला बनिाया था। न्जिका नाम उन्िोंने मीरा मंहदर रखा था। न्जतने हदन िे यिााँ रिीं इि छोिे िे गााँि की सशक्षा और विकाि के सलए काम करती रिीं। विशेर् रूप िे महिलाओं की सशक्षा और उनकी आधथयक आत्मतनभयरता के सलए उन्िोंने बिुत काम ककया। आजकल इि बंगले को मिादेिी िाहित्य िंग्रिालय के नाम िे जाना जाता िै। शंखला की कडडयााँ में न्स्ियों की मुन्क्त और विकाि के सलए उन्िोंने न्जि िािि ि दृ़िता िे आिाज उठाई िैं और न्जि प्रकार िामान्जक रूह़ियों की तनंदा की िै उििे उन्िें महिला मुन्क्तिादी भी किा गया। महिलाओं ि सशक्षा के विकाि के कायों और जनिेिा के कारण उन्िें िमाज-िुिारक भी किा गया िै।[१६] उनके िंपूणय गद्य िाहित्य में पीडा या िेदना के किीं दशयन निीं िोते बन्कक अदम्य रर्नात्मक रोर् िमाज में बदलाि की अदम्य आकांक्षा और विकाि के प्रतत ििज लगाि पररलक्षक्षत िोता िै। उन्िोंने अपने जीिन का अधिकांश िमय उत्तर प्रदेश के इलािाबाद नगर में त्रबताया। 11 सितंबर, 1987 को इलािाबाद में रात 9 बजकर 30 समनि पर उनका देिांत िो गया।
  • 9.
  • 10. कववता संग्रह 1. नीिार (1930) 2. रन्श्म (1932) 3. नीरजा (1934) 4. िांध्यगीत (1936) 5. दीपसशखा (1942) 6. िप्तपणाय (अनूहदत-1959) 7. प्रथम आयाम (1974) 8. अन्ग्नरेखा (1990) श्रीमती मिादेिी िमाय के अन्य अनेक काव्य िंकलन भी प्रकासशत िैं, न्जनमें उपयुयक्त रर्नाओं में िे र्ुने िुए गीत िंकसलत ककये गये िैं, जैिे आन्त्मका, पररक्रमा, िन्न्िनी (1965), यामा (1936), गीतपिय, दीपगीत, स्माररका, नीलांबरा और आिुतनक कवि मिादेिी आहद। अन्य तनबंि में िंकन्कपता तथा विविि िंकलनों में स्माररका, स्मतत धर्ि, िंभार्ण, िंर्यन, दृन्टिबोि उकलेखनीय िैं। िे अपने िमय की लोकवप्रय पत्रिका ‘र्ााँद’ तथा ‘िाहित्यकार’ मासिक की भी िंपादक रिीं। हिन्दी के प्रर्ार-प्रिार के सलए उन्िोंने प्रयाग में ‘िाहित्यकार िंिद’ और रंगिाणी नाट्य िंस्था की भी स्थापना की।
  • 11. महादेवी वमाा का गद्र् साहहत्र् रेखाचित्र: अतीत के र्लधर्ि (1941) और स्मतत की रेखाएं (1943), संस्मरण: पथ के िाथी (1956) और मेरा पररिार (1972 और िंस्मरण (1983)) िुने हुए भाषणों का संकलन: िंभार्ण (1974) ननबंध: शंखला की कडडयााँ (1942), वििेर्नात्मक गद्य (1942), िाहित्यकार की आस्था तथा अन्य तनबंि (1962), िंकन्कपता (1969) लशलत ननबंध: क्षणदा (1956) कहाननर्ााँ: धगकलू संस्मरण, रेखाचित्र और ननबंधों का संग्रह: हिमालय (1963), महादेवी वमाा का बाल साहहत्र् मिादेिी िमाय की बाल कविताओं के दो िंकलन छपे िैं। (i) ठाकु रजी भोले िैं (ii) आज खरीदेंगे िम ज्िाला
  • 12. समालोिना आिुतनक गीत काव्य में मिादेिी जी का स्थान ििोपरर िै। उनकी कविता में प्रेम की पीर और भािों की तीव्रता ितयमान िोने के कारण भाि, भार्ा और िंगीत की जैिी त्रििेणी उनके गीतों में प्रिाहित िोती िै िैिी अन्यि दुलयभ िै। मिादेिी के गीतों की िेदना, प्रणयानुभूतत, करुणा और रिस्यिाद काव्यानुराधगयों को आकवर्यत करते िैं। पर इन रर्नाओं की विरोिी आलोर्नाएाँ िामान्य पाठक को हदग्रसमत करती िैं। आलोर्कों का एक िगय िि िै, जो यि मानकर र्लते िैं कक मिादेिी का काव्य तनतान्त िैयन्क्तक िै। उनकी पीडा, िेदना, करुणा, कत्रिम और बनाििी िै। आर्ायय रामर्ंद्र शुक्ल जैिे मूियन्य आलोर्कों ने उनकी िेदना और अनुभूततयों की िच्र्ाई पर प्रश्न धर्ह्न लगाया िै|
  • 13. यि िर् िै कक मिादेिी का काव्य िंिार छायािाद की पररधि में आता िै, पर उनके काव्य को उनके युग िे एकदम अिम्पक्त करके देखना, उनके िाथ अन्याय करना िोगा। मिादेिी एक िजग रर्नाकार िैं। बंगाल के अकाल के िमय 1943 में इन्िोंने एक काव्य िंकलन प्रकासशत ककया था और बंगाल िे िम्बंधित “बंग भू शत िंदना” नामक कविता भी सलखी थी। इिी प्रकार र्ीन के आक्रमण के प्रततिाद में हिमालय नामक काव्य िंग्रि का िंपादन ककया था। यि िंकलन उनके युगबोि का प्रमाण िै। उन्िोंने धर्िकला का काम अधिक निीं ककया कफर भी जलरंगों में ‘िॉश’ शैली िे बनाए गए उनके धर्ि िुंिले रंगों और लयपूणय रेखाओं का कारण कला के िुंदर नमूने िमझे जाते िैं। उन्िोंने रेखाधर्ि भी बनाए िैं। उनके अपने कविता िंग्रिों यामा और दीपसशखा में उनके रंगीन धर्िों और रेखांकनों को देखा जा िकता िै।
  • 14. प्रमुख कृ नतर्ााँ पन्थ तुम्हारा मंगलमर् हो। महादेवी के हस्ताक्षर महादेवी वमाा की प्रमुख गद्र् रिनाएाँ 
  • 15. पुरस्कार ि िम्मान उन्िें प्रशाितनक, अियप्रशाितनक और व्यन्क्तगत िभी िंस्थाओँ िे पुरस्कार ि िम्मान समले। 1943 में उन्िें ‘मंगलाप्रिाद पाररतोवर्क’ एिं ‘भारत भारती’ पुरस्कार िे िम्मातनत ककया गया। 1956 में भारत िरकार ने उनकी िाहिन्त्यक िेिा के सलये ‘पद्म भूर्ण’ की उपाधि दी। 1979 में िाहित्य अकादमी की िदस्यता ग्रिण करने िाली िे पिली महिला थीं। 1988 में उन्िें मरणोपरांत भारत िरकार की पद्म विभूर्ण उपाधि िे िम्मातनत ककया गया। िन 1969 में विक्रम विश्िविद्यालय, 1977 में कु माऊं विश्िविद्यालय, नैनीताल, 1980 में हदकली विश्िविद्यालय तथा 1984 में बनारि हिंदू विश्िविद्यालय, िाराणिी ने उन्िें डी.सलि की उपाधि िे िम्मातनत ककया। इििे पूिय मिादेिी िमाय को ‘नीरजा’ के सलये 1934 में ‘िक्िेररया पुरस्कार’, 1942 में ‘स्मतत की रेखाएाँ’ के सलये ‘द्वििेदी पदक’ प्राप्त िुए। ‘यामा’ नामक काव्य िंकलन के सलये उन्िें भारत का ििोच्र् िाहिन्त्यक िम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्राप्त िुआ। िे भारत की 50 िबिे यशस्िी महिलाओं में भी शासमल िैं। 1968 में िुप्रसिद्ि भारतीय कफ़कमकार मणाल िेन ने उनके िंस्मरण ‘िि र्ीनी भाई’ पर एक बांग्ला कफ़कम का तनमायण ककया था न्जिका नाम था नील आकाशेर नीर्े।
  • 16. महादेवी — मागारेट थैिर से ज्ञानपीठ पुरस्कार लेते हुए|  डाकहटकट 
  • 17. महादेवी वमाा का र्ोगदान िाहित्य में मिादेिी िमाय का आविभायि उि िमय िुआ जब खडी बोली का आकार पररटकत िो रिा था। उन्िोंने हिन्दी कविता को बजभार्ा की कोमलता दी, छंदों के नए दौर को गीतों का भंडार हदया और भारतीय दशयन को िेदना की िाहदयक स्िीकतत दी। इि प्रकार उन्िोंने भार्ा िाहित्य और दशयन तीनों क्षेिों में ऐिा मित्िपूणय काम ककया न्जिने आनेिाली एक पूरी पीढी को प्रभावित ककया। शर्ीरानी गुिूय ने भी उनकी कविता को िुिन्ज्तत भार्ा का अनुपम उदािरण माना िै। उन्िोंने अपने गीतों की रर्ना शैली और भार्ा में अनोखी लय और िरलता भरी िै, िाथ िी प्रतीकों और त्रबंबों का ऐिा िुंदर और स्िाभाविक प्रयोग ककया िै जो पाठक के मन में धर्ि िा खींर् देता िै। छायािादी काव्य की िमद्धि में उनका योगदान अत्यंत मित्िपूणय िै।
  • 18. यद्यवप मिादेिी ने कोई उपन्याि, किानी या नािक निीं सलखा तो भी उनके लेख, तनबंि, रेखाधर्ि, िंस्मरण, भूसमकाओं और लसलत तनबंिों में जो गद्य सलखा िै िि श्रेटठतम गद्य का उत्कटि उदािरण िै। उिमें जीिन का िंपूणय िैविध्य िमाया िै। त्रबना ककपना और काव्यरूपों का ििारा सलए कोई रर्नाकार गद्य में ककतना कु छ अन्जयत कर िकता िै, यि मिादेिी को प़िकर िी जाना जा िकता िै। उनके गद्य में िैर्ाररक पररपक्िता इतनी िै कक िि आज भी प्रािंधगक िै। िमाज िुिार और नारी स्ितंिता िे िंबंधित उनके विर्ारों में दृ़िता और विकाि का अनुपम िामंजस्य समलता िै। िामान्जक जीिन की गिरी परतों को छू ने िाली इतनी तीव्र दृन्टि, नारी जीिन के िैर्म्य और शोर्ण को तीखेपन िे आंकने िाली इतनी जागरूक प्रततभा और तनम्न िगय के तनरीि, िािनिीन प्राखणयों के अनूठे धर्ि उन्िोंने िी पिली बार हिंदी िाहित्य को हदए। मौसलक रर्नाकार के अलािा उनका एक रूप िजनात्मक अनुिादक का भी िै न्जिके दशयन उनकी अनुिाद-कत ‘िप्तपणाय’ (1960) में िोते िैं। अपनी िांस्कततक र्ेतना के ििारे उन्िोंने िेद, रामायण, थेरगाथा तथा अश्िघोर्, कासलदाि, भिभूतत एिं जयदेि की कततयों िे तादात्म्य स्थावपत करके 39 र्यतनत मित्िपूणय अंशों का हिन्दी काव्यानुिाद इि कतत में प्रस्तुत ककया िै। आरंभ में 61 पटठीय ‘अपनी बात’ में उन्िोंने भारतीय मनीर्ा और िाहित्य की इि अमूकय िरोिर के िंबंि में गिन शोिपूणय विमर्य ककया िै जो के िल स्िी-लेखन को िी निीं हिंदी के िमग्र धर्ंतनपरक और लसलत लेखन को िमद्ि करता िै।
  • 19.
  • 20.
  • 21. मिादेिी िमाय के कविता तुम मुझ्मे वप्रर् ! फ़िर पररच्र् क्र्ा तुम मुझ्मे वप्रय ! कफ़र पररच्य क्या ताकय मे छवि, प्राणों में स्रुतत पलकों में नीरि पद की गतत लघु उर में पुलकों की िंितत भर लाई िूाँ तेरी र्ंच्ल ऒर करूाँ ज्ग में िंच्य क्या ! तेरा मुख शि अरुणोदय परछाई रजनी विर्ादमय िि जागतत िि नींद स्व्प्नमय खेकखेल थ्क्क्थ्क्क िोने दे में िमझूाँगी िन्टि प्रलय क्या ! वप्रय ! िान्ध्य गगन वप्रय ! िान्ध्य गगन मेरा जीिन ! यि क्षक्षततज बना िुाँिला विराग, नि अरूण अरूण मेरा िुिाग, छाया िी काया िीतराग, िुधिभीने स्व्प्न राँगीले घ्न ! िािों का आज िुन्िलाप्न, तघरता विर्ाद का ततसमर िघन, िन्िया का न्भ िे मूक समलन, यि अश्रुम्ती िाँस्ती धर्त्व्न !
  • 22. फ़िर ववक्ल हैं प्राण मेरे ! कफ़र विक्ल िैं प्राण मेरे ! तोड दो यि क्षक्षततज मैं भी देख लूं उि ओर क्या िै ! जा रिे न्जि पंथ िे युग क्कप उस्क छोर क्या िै ? क्यों मुझे प्रार्ीर ब्न कर आज मेरे श्र्िाि घेरे ? सिन्िु की तनःिीम्ता पर कघु किर का लाि कै िा ? दीप कघु सशर पर िरे आलोक का आकाश कै िा ! दे रिी मेरी धर्रन्तन्ता क्ष्णों के िाथ फ़े रे ! नतशमर में वे पदचिह्न शमले ! ततसमर में िे पदधर्ह्न समले ! युग – युग क पंथी अकु ल मन, बााँि रिा प्थ के रजक्ण र्ुन ; श्र्िािों में रूाँ िे दुख के पल ब्न ब्न दीप च्ले ! अन्कित तन में, विघुत-िी भर, िर ब्न्ते मेरे श्र्म-िीकर; एक एक आाँिू में शत शत शत्द्ल-स्व्प्न खखले ! िजतन वप्रय के पदधर्ह्न समले !
  • 23. तब क्ष्ण क्ष्ण म्धु-प्र्ाले होंगे ! त्ब क्ष्ण क्ष्न म्िु-प्याले िोंगे ! ज्ब दूर देश उड जाने को ह्ग-ख्जज्न म्त्िाले िोंगे ! दे आाँिू-ज्ल स्मतत के कघुक्ण, मैंने उर-वपंजर में उन्म्न, अप्ना आकु ल मन बिलाने िुख-दुख के ख्जग पाले िोंगे ! ज्ब मेरे शूलों पर शत शत, मिु के युग िोंगे अन्व्कम्बत, मेरे क्र्नन्दन िे अत्प के - हदन सिव्न िररयाले िोंगे !
  • 24. िन्यिाद मुझे र्फ़कन हे की आपको र्ह प्रेसेनटेिन पसन्द आर्ा और आप को महादेवी वमाा के जीवन अच्छी तरह समज आर्ा| िन्यिाद